यहां बीएसएफ ने जब्त की 6 करोड़ की ड्रग, थाइलैंड में इसे रखने पर मौत की सजा का है प्रावधान

टीआरपी डेस्क। सीमा सुरक्षा बल की टुकड़ियों ने शुक्रवार को मिजोरम के कोलासिब जिले में करीब 6.52 करोड़ रुपये की प्रतिबंधित दवाओं को जब्त किया है। बीएसएफ ने इस दौरान म्यांमार के एक नागरिक और एक ड्रग तस्कर को गिरफ्तार किया है।

सैनिकों ने उनके पास से लगभग 12.8 किलोग्राम वजन की 1,30,492 याबा गोलियां बरामद की। बीएसएफ ने बयान जारी कर बताया कि जब्त की गई याबा टेबलेट की कीमत बाजार में 6,52,46,000 है। थाइलैंड में इसे रखने पर आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक का प्रावधान है।

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, टीम ने तस्करों के पास से लगभग 12.8 किलो की 1 लाख 30 हजार 492 याबा टैबलेट पकड़ी हैं, जिसकी कीमत 6.52 करोड़ रुपए बताई जा रही है। पकड़े गए तस्करों में से दो की पहचान असम के समीर देव (49) और म्यांमार के सोलोमन (36) के रूप में हुई है।

BSF को ऐसे मिली कामयाबी

BSF को छिमलुआंग गांव के पास से याबा टैबलेट का सौदा होने की खबर मिली थी, जिसके बाद ऑपरेशन शुरू किया गया। मौके पर पहुंचे जवानों ने सौदा नहीं होने दिया और तस्करों को पकड़ लिया। उन्होंने बताया कि जब्त की गई याबा टैबलेट्स की कीमत बाजार में 6.52 करोड़ रुपए है।

क्या है याबा टैबलेट?

यह अक्सर लाल रंग की होती है। याबा को पागलपन की दवा (madness drug) के नाम से जाना जाता है। यह दवा पूर्वी म्यांमार के शान, काचिन और दो अन्य राज्यों में बनती है। ये दवा लाओस, थाईलैंड, म्यांमार से दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश और अन्य देशों में पहुंचाई जाती है। याबा थाईलैंड में सबसे खराब कैटेगरी की दवा है, यहां जो लोग इसका इस्तेमाल करते हैं उन्हें 20 साल तक की सजा हो सकती है, या उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ता है। वे लोग जो 20 ग्राम से अधिक याबा के साथ पकड़े जाते हैं, उन्हें आजीवन कारावास की सजा का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी मौत की सजा दी जा सकती है। शान राज्य में यह दवा घोड़ों को पहाड़ी क्षेत्रों की चढ़ाई और भारी कामों के दौरान दी जाती थी।

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