Ahmedabad Serial Blast: इतिहास में पहली बार अदालत ने एक साथ 38 दोषियों को सुनाई फांसी की सजा, आरोपियों ने 70 मिनट में किए थे 21 धमाके
Ahmedabad Serial Blast: इतिहास में पहली बार अदालत ने एक साथ 38 दोषियों को सुनाई फांसी की सजा, आरोपियों ने 70 मिनट में किए थे 21 धमाके

नेशनल डेस्क। अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में एक विशेष अदालत ने दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया है। कोर्ट ने 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि 11 दोषियों को आखिरी सांस तक कैद में रहने की सजा सुनाई गई है।

इतिहास में ये पहली बार है जब एक साथ 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। दोषियों की वर्चुअली पेशी हुई थी और जब कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई तब दोषी अलग-अलग जेल में बैठे हुए थे।

ब्लास्ट में 56 लोगों की हुई थी मौत

आरोपियों ने महज 70 मिनट में 21 सीरियल बम ब्लास्ट किया था जिससे 56 लोगों की मौत हो गई वहीं 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। विशेष जज ए आर पटेल की अदालत ने गत आठ फ़रवरी को इस मामले के कुल 79 में 49 आरोपियों को दोषी क़रार दिया था और अन्य 28 को बरी कर दिया था। एक अन्य की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। अदालत ने कल शुक्रवार को इस मामले में सज़ा सुनने के दौरान 49 दोषसिद्ध आरोपियों में से 48 पर दो लाख 85 हज़ार रुपए (प्रत्येक) का जुर्माना भी लगाया।

अदालत ने मृतकों के परिजनों समेत घायलों के मुआवज़े का किया प्रावधान

अदालत ने इस घटना के सभी 56 मृतकों के लिए एक-एक लाख रुपए, 240 घायलों में से गम्भीर के लिए 50-50 हज़ार और हल्के के लिए 25-25 हज़ार के मुआवज़े का भी प्रावधान किया। ज्ञातव्य है कि यहां सिविल अस्पताल और एलजी अस्पताल समेत 23 भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर उस दिन शाम साढ़े छह बजे से पौने आठ बजे के बीच धमाके हुए थे जिनमे 56 लोगों की मौत हुई थी और 240 लोग घायल हुए थे। इसके बाद उसी साल 28 से 31 जुलाई के बीच सूरत शहर से 29 वैसे ही बम बरामद हुए थे जैसे अहमदाबाद के धमाकों में इस्तेमाल किए गए थे।

गुजरात पुलिस की जांच के बाद इस मामले में 15 अगस्त 2008 को पहले 11 लोगों को पकड़ा गया। बाद में अन्य अभियुक्तों की भी गिरफ़्तारी हुई थी। जांच के दौरान पता लगा कि इन धमाकों के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ, अंडरवर्ल्ड और प्रतिबंधित संगठन सिमी से परिवर्तित हुए इंडियन मुजाहिदीन और अन्य आतंकी संगठनों का हाथ था। इन लोगों ने कथित तौर पर 2002 के गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया था। जांच में यह भी पता चला था कि इस घटना के लिए मई में अहमदाबाद के निकट वटवा इलाक़े में षड्यंत्र रचा गया था।

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