ज़ेलेन्स्की के ऑफिस के पास फंसे भारतीय, दूतावास से नहीं मिली कोई सहायता
ज़ेलेन्स्की के ऑफिस के पास फंसे भारतीय, दूतावास से नहीं मिली कोई सहायता

नेशनल डेस्क। चार दिनों से रूस और यूक्रेन में लगातार जंगी हालत चल रही है। बीते चार दिनों से यूक्रेन में फंसे भारतीयों को बहुत ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान यूक्रेन में फंसे 5 भारतीय यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के ऑफिस से मात्र 200 मीटर दूर एक बेसमेंट में फंसे हुए है।

बता दें जिस क्षेत्र में भारतीय फंसे हुए है उस एरिया में राष्ट्रपति का भवन होने के साथ-साथ तमाम मंत्रालय भी स्थित हैं, इसलिए यहां चप्पे-चप्पे पर यूक्रेन की फौज तैनात है। टैंक और मिसाइलें लेकर सैनिक मुस्तैद हैं। बता दें यूक्रेन ने इमरजेंसी लगी है, जिसके कारण कोई भी बाहर नहीं निकल नहीं सकता।

राष्ट्रपति भवन के पास फंसे है भारतीय

बेसमेंट में फंसे भारतीयों में से एक ने बताया कि, ‘मुझे मिलाकर कुल 5 लोग हैं। मैं जिस रेस्टोरेंट में शेफ हूं, वो यहीं स्थित है। रेस्टोरेंट के नीचे ही बेसमेंट बना हुआ है, जहां हम सब छिपे हुए हैं।‘

इसके साथ ही उसने कहा कि, “हमें खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि रेस्टोरेंट का सामान भरा हुआ है, लेकिन टैंक और मिसाइलें चारों तरफ घूम रहे हैं, इसलिए जान संकट में है।”

बता दें रूस की सेना राष्ट्रपति भवन को ही अपने कब्जे में लेना चाहती है इसलिए यह एरिया सबके लिए बहुत खतरनाक हो गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार रूस की सेना राष्ट्रपति भवन से लगभग 8 से 10 किमी दूर ही है। भारतीय युवक ने बताया कि, ‘जब रात में फायरिंग होती है तो उसकी आवाजें अंदर तक आती हैं। इसलिए हम दो-दो करके सो रहे हैं। जैसे ही मौका मिलेगा, यहां से निकलेंगे।‘

यूक्रेन एम्बेसी ने किया दरकिनार, स्कूल ने छिपने को मजबूर छात्र

यूक्रेन की राजधानी कीव में करीबन 300 स्टूडेंट्स एक स्कूल में फंसे हुए है। ग्रुप में शामिल अमृतसर के के एक छात्र ने बताया कि, ‘इंडियन एम्बेसी से सटा हुआ एक स्कूल है, इसी के बेसमेंट में 300 से ज्यादा स्टूडेंट्स ठहरे हुए हैं।”

इसके साथ ही उस छात्र ने बताया कि यूक्रेन एम्बेसी ने हमे यहां से जाने का कह दिया है, लेकिन कोई इंतजाम नहीं किया। इसलिए हम ये स्कूल नहीं छोड़ रहे। हमे बॉर्डर एरिया पर जाना है, वहां से भारत के लिए फ्लाइट मिल सकती है लेकिन वहां तक कैसे जाएं, कुछ समझ नहीं आ रहा।’

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