रायपुर : पशुधन विकास विभाग के अंर्तगत कार्यरत सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ ने अनाधिकृत कार्यों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। दरअसल संघ के सदस्यों का कहना है कि प्रदेश में उनसे ऐसे कार्य भी कराए जाते हैं जो राजपत्र के आधार पर वे करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। इसके तहत 2 मार्च से प्रदेश भर के अधिकारी केवल वही कार्य करेंगे जिनको करने का अधिकार उन्हें राजपत्र में दिया गया है। संघ के सदस्यों की मांग है कि ऐसे सभी कार्य जो राजपत्र में नहीं लिखे हैं। उन सबको राजपत्र में संशोधन के माध्यम से शामिल किया जाए अन्यथा ये सारे कार्य इसी प्रकार रुके रहेंगे।

यह है सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ की आपत्ती

सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ के प्रांत अध्यक्ष डी एस भारद्वाज ने TRP से चर्चा के दौरान बताया कि “22 दिसंबर 2017 को प्रकाशित राजपत्र के अनुसार सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी को केवल प्राथमिक चिकित्सा का अधिकार है जो कोई भी अप्रशिक्षित व्यक्ति कर सकता है। प्रदेश के समस्त सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों को प्राथमिक उपचार और पशु चिकित्सा का 2 वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाता है, औषधि भी उपलब्ध कराई जाती है। राजपत्र के आधार पर सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों को केवल मुख मार्ग से ही पशुओं को दवाई देने का अधिकार है। अर्थात वे केवल गोली या पाउडर के रुप में दवा देने के लिए अधिकृत हैं। अन्य किसी भी माध्यम से दवा देने जैसे की इंजेक्शन लगाने आदि का अधिकार उन्हें नहीं है। फिर भी वर्तमान समय में पशुधन विकास विभाग का 90 प्रतिशत सामान्य उपचार एवं टीकाकरण सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के भरोसे है।

एक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के अंदर एक पशु औषधालय आता है। और एक पशु औषधालय के तहत 15 से 40 गाँव आते हैं ऐसे में हर गाँव के सभी पशुओं की चिकित्सा की जिम्मेदारी वहाँ के सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी की ही होती है। ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर से सभी टीकाकरण आदि के निर्देश भी सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी को दिए जाते हैं। पर इन अधिकारो का राजपत्र में प्रकाशन करने में विभाग की आपत्ती रहती है।

बिलासपुर के सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी बी एम पाण्डेय ने बताया कि हर वर्ष सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों को कृत्रिम गर्भाधान कराने का लक्ष्य भी दिया जाता है। जबकि राजपत्र में इसका कोई विवरण नहीं हैं। जिसके कारण क्षेत्रीय स्तर पर कार्यो को करनें में कठिनाई होती है, कभी कभी कानूनी परेशानी का भी सामना करना पड़ जाता है।

कानूनी विरोधाभास की स्थिति

डी एस भारद्वाज ने बताया कि विभागीय नियमों में कानूनी विरोधाभास की स्थिति है। उन्होंने बताया कि राजपत्र में सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों को बधियाकरण हेतु अधिकृत किया गया है लेकिन इंजेक्शन लगाने के लिए नहीं। दूसरी ओर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के नियमानुसार बिना पशु को एनिस्थिसिया दिए बधियाकरण करने पर 6 माह तक के कारावास का प्रावधान है। ऐसी स्थिति में राज्य के कर्मचारियों के समक्ष दो अलग अलग नियमों और अधिकारों में विरोधाभास के कारण उन्हें समस्या का सामना करना पड़ता है।

पत्राचार से नहीं हुआ कोई लाभ

डी एस भारद्वाज ने बताया कि संघ इन सब विषयों को लेकर विभाग के सचिव से लेकर मंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक के समक्ष मिलकर और पत्र के माध्यम से ये मांग रख चुका है। जिसका अब तक कोई निष्कर्ष न निकल पाया है। जिसके बाद त्रस्त होकर संघ ने कर्मचारियों से कराए जाने वाले तमाम अनाधिकृत कामों को राजपत्र में प्रकाशित करने की मांग के साथ अनिश्चित काल तक ऐसे सभी कामों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

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