महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में क्यों होता है हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा? विशेषज्ञों ने किया बड़ा दावा
महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में क्यों होता है हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा? विशेषज्ञों ने किया बड़ा दावा

टीआरपी डेस्क। सिद्धार्थ शुक्ला, हर्षद मेहता और शेन वार्न इन सभी हस्तियों की मौत की वजह दिल का दौरा (Heart Attack) ही है। कल (शुक्रवार) ऑस्ट्रेलिया के बेहतरीन क्रिकेटर लेग स्पिनर शेन वार्न की मृत्यु महज 52 साल में हार्ट अटैक से हो गई।

भागदौड़ वाली इस दिनचर्या में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे है। इससे महिलाऐं एवं पुरुष दोनों प्रभावित होते है लेकिन पुरुषों में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा सामने आते है। एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है। यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (US Centers for Disease Control and Prevention, CDC) की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि हर साल सबसे ज्यादा मौतें दिल की बीमारियों के कारण होती हैं।

अमेरिका में प्रतिवर्ष लगभग 7 लाख से ज्यादा लोग हार्ट अटैक का शिकार होते है। जिसके बिहाफ पर अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने यह दावा किया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है। एक स्टडी में यह पाया गया कि उम्र के कुछ खास पड़ाव पर पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा महिलाओं से करीब दोगुना ज्यादा रहता है। आखिर क्यों महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है? आइए जानते है कुछ रिसर्च से…

एथेरोस्क्लेरोसिस करता है महिलाओं का बचाव

अमेरिका के माइकल जोसेफ ब्लाहा जो कि जॉन होपकिंस सिकारॉन सेंटर फॉर दि प्रीवेंशन ऑफ हार्ट डिसीस के क्लीनिकल रिसर्च डायरेक्टर है, उनका कहना हैं कि महिलाओं के अपेक्षा पुरुष तक़रीबन 10 साल पहले पुरुषों में हार्ट अटैक का अनुभव (experience) कर सकते है। विशेषज्ञों का मानना है कि 45 साल की उम्र में पुरुषों में दिल का दौरा पड़ने (Heart Attack) का खतरा बढ़ जाता है। जबकि दूसरी तरफ महिलाओं में हार्ट अटैक की संभावना 55 की उम्र में बढ़ती है।

जानकारों की माने तो ऐसा महिलाओं में एस्ट्रोजेन के कारण होता है। महिलाओं में जो एस्ट्रोजेन मौजूद होते है वह उन्हें हार्ट अटैक से बचाते है। मोनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं में मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) से पहले एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण ज्यादा बचाव होता है। एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी कंडीशन है जब धमनियों में प्लेक डिपॉजिट (फैटी डिपॉजिट) जमा होने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

मोनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन कम होने लगता है

एक्सपर्ट्स के अनुसार मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर गिरना शुरू हो जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि हाई प्री-मेनोपॉज़ल एस्ट्रोजन लेवल के कारण ही महिलाओं का हार्ट अटैक से बचाव होता है। यही कारण है कि पुरुषों की तरह महिलाएं 45 साल की उम्र में हार्ट अटैक का शिकार नहीं होती हैं। हालांकि ट्रोम्सो स्टडी में एस्ट्रोजन की थ्योरी को सपोर्ट करने वाले साक्ष्य नहीं मिले हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, मेनोपॉज पर पहुंचने के बाद भी महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा पुरुषों की तुलना में कम ही रहता है।

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