ध्वनि प्रदूषण से भारत में 6.3 करोड़ लोगों की श्रवण शक्ति कमजोर, प्रभावितों में युवा वर्ग अधिक

नई दिल्ली। यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम की ओर से जारी की गई वार्षिक फ्रंटियर रिपोर्ट में भारत के मुरादाबाद शहर को विश्व का दूसरा सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषित शहर घोषित किया गया। इसी बीच संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ध्वनि प्रदूषण की वजह से कम सुनने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 6.3 करोड़ की आबादी ऐसी है, जो कम सुनाई देने की समस्या से पीड़ित है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले कारकों जैसे सड़क यातायात, हवाई यातायात, रेलवे, मशीनरी, उद्योग और तेज संगीत सुनने की वजह से शारीरिक और मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इससे सबसे युवा प्रभावित हो रहे हैं।

भारत के युवा अपनी श्रवण क्षमता तेजी से खोते जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि 2030 तक भारत में कम सुनने वालों की संख्या दोगुनी से ज्यादा यानि 13 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 10 में से दो लोग ही इस समस्या का इलाज करवाते हैं और श्रवण यंत्र पहनते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया कि तेज ध्वनि और मनोरंजन के अन्य साधनों के उच्च शोर की चपेट में लंबे समय तक रहने के कारण दुनिया भर में 12 से 35 साल की उम्र के लगभग एक अरब लोगों की श्रवण क्षमता के लिए जोखिम पैदा हो गया है। अनुमानों के अनुसार साल 2030 तक यह संख्या दो अरब से ज्यादा तक पहुंच सकती है।

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