नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को बताया कि “यूक्रेन की सरकार ने वहां से लौटने को मजबूर हुए भारतीय छात्रों की मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के लिहाज से कुछ छूट देने का फैसला किया है और अब छात्रों को उनके अकादमिक मूल्यांकन के आधार पर मेडिकल की डिग्री दी जा सकेगी तथा उन्हें ‘क्रॉक-2′ परीक्षा नहीं देनी होगी।” जयशंकर ने लोकसभा में नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा, “भारत सरकार यूक्रेन से पढ़ाई बीच में छोड़कर लौटने को मजबूर हुए भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित है। छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा हो सके, इस लिहाज से हंगरी, पोलैंड, रुमानिया, चेक गणराज्य और कजाकिस्तान जैसे देशों के साथ संपर्क में है।”

यूक्रेन सरकार ने लिया निर्णय

विदेश मंत्री ने सदन में कहा कि यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर वह सदन को सूचना देना चाहते हैं कि यूक्रेन सरकार ने निर्णय लिया है कि छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा पूरी करने के संदर्भ में छूट दी जाएगी। उन्होंने बताया कि तीसरे वर्ष से चौथे साल में जाने वाले छात्रों के लिए जो ‘क्रॉक-1′ परीक्षा होती है, उसे अगले शिक्षण सत्र के लिए स्थगित कर दिया गया है और छात्रों को अगले शिक्षण सत्र में मानक जरूरतों के पूरा करने के आधार पर भेजा जाएगा।”

अकादमिक मूल्यांकन के आधार पर दी जाएगी डिग्री

उन्होंने कहा कि वहां छठे वर्ष के छात्रों को ‘क्रॉक-2′ परीक्षा देनी होती है और सामान्य स्थिति में उसी के आधार पर उन्हें मेडिकल की डिग्री दी जाती है। लेकिन यूक्रेन की सरकार ने निर्णय लिया है कि छात्रों को अकादमिक मूल्यांकन के आधार पर डिग्री दी जाएगी और उन्हें ‘क्रॉक-2′ परीक्षा नहीं देनी होगी। विदेश मंत्री ने कहा कि इसके लिए हमने भी जोर दिया था। जयशंकर ने कहा कि इन छात्रों के भविष्य को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और अन्य विभाग काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं विदेश मंत्रालय की ओर से कह सकता हूं कि हम हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, चेक गणराज्य और कजाकिस्तान के साथ संपर्क में हैं। इन सभी का लगभग एक जैसा चिकित्सा चिकित्सा शिक्षा मॉडल है।” जयशंकर ने कहा कि हंगरी से इस बारे में सबसे पहले सरकार को प्रस्ताव मिला है।

छात्रों को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी

उन्होंने कहा कि छात्रों को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी। जयशंकर ने छात्रों द्वारा लिए गए शिक्षा ऋण के संबंध में कहा कि यूक्रेन में पढ़ने वाले 1,319 छात्रों पर ऋण बकाया है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ दिन पहले सदन को सूचित कर चुकी हैं कि सरकार ने भारतीय बैंक संघ को वापस आने वाले छात्रों के बकाया शिक्षा ऋण के संबंध में संघर्ष के कारण पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने और विभिन्न पक्षकारों के साथ इस बारे में विचार-विमर्श शुरू करने के लिये कहा है। जयशंकर ने यह भी कहा कि हमारा प्रयास इस समय भारत और रूस के बीच आर्थिक लेनदेन को स्थिरता प्रदान करना है चूंकि रूस भारत का महत्वपूर्ण साझेदार देश है।

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