गर्ल्स हॉस्टल में राशन हुआ खत्म और भूखी छात्राओं को ग्रामीण खिला रहे थे खाना.. अधीक्षिका को बचाने के प्रयास में जुटे थे अधिकारी.. जांच में सच हुआ उजागर तो...
गर्ल्स हॉस्टल में राशन हुआ खत्म और भूखी छात्राओं को ग्रामीण खिला रहे थे खाना.. अधीक्षिका को बचाने के प्रयास में जुटे थे अधिकारी.. जांच में सच हुआ उजागर तो...

मरवाही। प्रदेश में शासकीय छात्रावासों की हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती जा रही है। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के एक कन्या छात्रावास में राशन का स्टॉक नहीं होने की जाँच के लिए अधिकारी रात के वक्त अकेले पहुंच गए, इस दौरान ग्रामीणों से उनका विवाद भी हुआ, बाद में अधिकारी ने छात्रावास अधीक्षिका के पक्ष में रिपोर्ट दे दी। इस घटनाक्रम का वीडियो वायरल होने के बाद के बाद दोबारा SDM से जांच कराइ गई तब शिकायत सही पायी गई और अधीक्षिका को निलंबित कर दिया गया। अब इस मामले में उलटे सहायक आयुक्त और मंडल संयोजक को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।

आदिवासी कन्या छात्रावास का है मामला

जीपीएम (गौरेला-पेंड्रा-मरवाही) जिले में प्री मैट्रिक आदिवासी कन्या छात्रावास भर्रीडांड, विकास खण्ड, मरवाही में खाद्यान्न सामग्री नहीं होने के संबंध में शिकायत ग्रामीणों द्वारा की गई थी। दरअसल लगातार छुट्टियों के बाद जब यहां की छात्राएं घर से वापस लौटीं, तब पता चला कि छात्रावास में राशन नहीं है। बताया जाता है कि राशन नहीं होने की जानकारी मिलने पर ग्रामीणों द्वारा छात्राओं के लिए भोजन का इंतजाम करते हुए मामले की शिकायत कलेक्टर से की गई।

पखवाड़े भर पहले ही उठाया था राशन

ग्रामीणों की शिकायत थी कि उन्होंने 19 मार्च को ही हॉस्टल में सरकारी चावल उतरते देखा था। जब उस वक्त छुट्टियां थी, तब इतनी जल्दी राशन कैसे ख़त्म हो गया। ग्रामीणों ने राशन में हेराफेरी का आरोप लगते हुए कलेक्टर से जांच की मांग की।

फरमान था तो अंधेरे में ही चले आये

जीपीएम कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त केएन मिश्रा को तत्काल जाँच का आदेश दिया। इसके बाद सहायक आयुक्त मिश्रा प्री मैट्रिक आदिवासी कन्या छात्रावास भर्रीडांड के लिए रवाना हो गए। ग्रामीण बताते हैं कि सहायक आयुक्त अंधेरा होने के बाद यहां अकेले पहुंचे, जबकि उन्हें कन्या छात्रावास में आने के लिए किसी महिला स्टाफ को लेकर आना था। नियम के मुताबिक कन्या छात्रावासों में शाम होते ही पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध है।

गेट पर लगा दिया ताला

ग्रामीणों द्वारा इस वाकये का जो वीडियो वायरल किया गया, उसे देखकर पता चलता है कि सहायक आयुक्त मिश्रा शाम 7 बजे हॉस्टल के अंदर गए और इस दौरान उनके साथ एक स्थानीय पत्रकार भी मौजूद था। मिश्रा ने अंदर जाकर गेट पर ताला लगवा दिया और जाँच की औपचारिकता शुरू की। इस बात को लेकर ग्रामीणों ने आपत्ति जताई तो आयुक्त मिश्रा ग्रामीणों से ही उलझ पड़े, जबकि उस वक्त ग्रामीणों के साथ शिक्षा समिति के अध्यक्ष भी मौजूद थे। मिश्रा ने ग्रामीणों से जमकर बहस की और यहां तक कह दिया कि जहां भी शिकायत करना है कर दो। जिससे नाराज ग्रामीणों ने भी गेट में बाहर से ताला मार दिया। इसकी सूचना सहायक आयुक्त ने कलेक्टर और एसडीएम को दी, जिसके बाद मरवाही एसडीएम हितेश्वरी वाघे पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और मामले को शांत कराया।

अधीक्षिका के पक्ष में दे दी रिपोर्ट

सहायक आयुक्त केएन मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट में हॉस्टल में सब कुछ ठीक होना बताते हुए हॉस्टल अधीक्षिका अघनिया पाण्डव का बचाव किया, जबकि ग्रामीणों को इस बात की पुख्ता जानकारी थी कि हॉस्टल में राशन का स्टॉक नहीं है और इससे छात्राओं के भोजन में दिक्कत आ रही है। ग्रामीणों ने दोबारा इसकी शिकायत कलेक्टर से करते हुए किसी वरिष्ठ अधिकारी से मामले की जांच कराने की मांग की।

दोबारा जांच में सच हुआ उजागर

इस शिकायत पर मरवाही में पदस्थ अनुविभागीय दंडाधिकारी हितेश्वरी वाघे से जांच कराई गई। जांच में शिकायत सही पाई गई। जिसके बाद कार्रवाई करते हुए प्री मैट्रिक आदिवासी कन्या छात्रावास भर्रीडांड की प्रभारी अधीक्षिका अघनिया पाण्डव (सहायक शिक्षक) को निलंबित कर दिया गया।

लापरवाही पर दो अधिकारियों को शो-कॉज

SDM की जांच में यह उजागर हो गया कि जिले में आश्रम-छात्रावासों के संचालन और मॉनिटरिंग में कितनी लापरवाही बरती जा रही है। यही वजह है कि जिला प्रशासन ने छात्रावासों एवं आश्रमों के नियमित निरीक्षण नहीं होने के कारण केएन मिश्रा, सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग और सुरेश कुमार देवांगन, मंडल संयोजक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अब उनकी भूमिका की जांच होगी।

शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं हॉस्टल

आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ राज्य में अधिकांश जिलों में बड़ी संख्या में आदिवासी कन्या और बालक छात्रावास और आश्रम संचालित हो रहे हैं। आलम ये है कि अधिकांश छात्रावासों में पूर्णकालिक अधीक्षकों की पदस्थापना ही नहीं हैं। ऐसे में स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को छात्रावासों का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जो जिम्मेदारी पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं करते हैं।

प्रदेश में यदा-कदा छात्रावासों में अनियमितता की शिकायतें मिलती रहती हैं, बावजूद इसके मुख्यालय में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों ने अब तक कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं किया है, जिससे छात्रावासों की व्यवस्था में सुधार हो और घर से दूर बच्चे यहां घर जैसी सुविधा का लाभ उठाते हुए अच्छी तरह पढ़ाई कर सकें।

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