रायपुर : प्रदेश के शासकीय विभाग और शिक्षण संस्थाओं द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का उल्लंघन किया जा रहा है। आरटीआई कानून का मकसद सरकारी विभागों की जवाबदेही जवाबदेही तय करना होता है इसके साथ ही इसका उद्देश्य विभाग के कार्यों में पारदर्शिता लाना है जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके। लिकिन कहीं न कहीं इसका उल्लंघन होता स्पष्ट तौर पर दिखाई पड़ रहा है।

दरअसल जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस को प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल एंबुलेंस संचालित करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दी गई है। आरटीआई कार्यकर्ता उचित शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग से एंबुलेंस संचालन के लिए जय अंबे इमरजेंसी प्राइवेट लिमिटेड के साथ हुए करार की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में विभाग ने बताया कि ग्रामीण मोबाइल मेडिकल यूनिट से संबंधित कोई भी डाटा तृतीय पक्ष को उपलब्ध कराने की अनुमति नहीं है।

इसके साथ ही पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने वार्षिक परीक्षा की एडवाइजरी में प्रकाशित किया था कि सूचना के अधिकार के अधिनियम के अंतर्गत ब्लैंडेड पद्धति से संपन्न परीक्षाओं के उत्तर पुस्तिका परीक्षार्थियों को प्रदान नहीं किया जाएंगे। इस नियम को लागू करने के पीछे विश्वविद्यालय प्रबंधन का तर्क यह है या नियम पिछले 2 साल से लागू थे इसलिए इस वर्ष भी से लागू कर दिया गया है।

जहाँ गोपनीयता नहीं वहाँ मिलनी चाहिए जानकारी

जबकि विशेषज्ञों की माने तो शासकीय पैसे का उपयोग जो भी विभाग कर रहा हो वह आरटीआई के दायरे में आता है। जानकारी देना और लेना किसी का भी नैतिक अधिकार है। सुरक्षा के विषयों में इसकी अनदेखी कर सकते हैं लेकिन सुरक्षा और गोपनीयता जहां नहीं आती वहां जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।

मांगा जाएगा जवाब

इस विषय की जानकारी जब छत्तीसगढ़ के मुख्य सूचना आयुक्त एम के राउत को हुई तो उन्होंने कहा कि “शासकीय विभाग आरटीआई के दायरे में आते हैं। कोई भी विभाग और संस्था जानकारी देने के लिए मना नहीं कर सकती। जिन संस्थानों के संबंध में शिकायत है उनकी जानकारी एकत्र कर के मामले की जांच की जाएगी और अगर विभाग की कोई गलती है तो उन पर कार्यवाही भी की जाएगी और उनसे जानकारी ना देने का कारण भी पूछा जाएगा।”

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएप, पर