श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में लोगों की सुरक्षा और आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे आतंकवादियों के लिए मुसीबत बन गया है और आतंकी सीसीटीवी कैमरों से पूरी तरह डरे हुए हैं। वे लोगों को सीसीटीवी कैमरे न लगाने की धमकी दे रहे हैं। आतंकियों ने धमकी देते हुए कहा कि इनसे दूर रहो, अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें। वे इसे आम कश्मीरी औरतों की निजता के साथ जोड़ते हुए कह रहे हैं कि इनमें हमारी मां-बहनों की तस्वीरें कैद हो जाती हैं। इस बीच, पुलिस ने आतंकी धमकियों का संज्ञान लेते लोगों को पूरी सुरक्षा का यकीन दिलाते हुए कहा कि धमकी देने वाले जल्द पकड़े जाएंगे। जहां सीसीटीवी कैमरा होगा, वहां पकड़े जाने के डर से आतंकी नहीं आएंगे।

प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में विशेषकर कश्मीर घाटी में आतंकियों द्वारा बीते दिनों भीड़ भरे इलाकों में ग्रेनेड हमले किए जाने और नागरिकों को उनके घरों में दाखिल होने पर मौत के घाट उतारे जाने की घटनाओं का संज्ञान लेते हुए सभी भीड़ भरे स्थानों, धर्मस्थलों, सभी प्रमुख व्यापारिक प्रतिष्ठानों और बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया है। निर्देश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। इसके साथ ही पुलिस ने भी प्रदेश के विभिन्न शहरों व कस्बों में करीब 500 नए सीसीटीवी कैमरे जो क्षेत्रीय और जिला नियंत्रण कक्ष के साथ जुड़े रहेंगे, स्थापित करने का फैसला किया है।
आइजीपी कश्मीर विजय कुमार के मुताबिक, लाल चौक के साथ सटे हरि सिंह हाई स्ट्रीट में गत 2 मार्च को हुए ग्रेनेड हमले और उससे पहले जनवरी में हुए ग्रेनेड हमलों में लिप्त आतंकियों को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर चिन्हित कर पकड़ा गया है। इसके अलावा मैसूमा में इसी माह सीआरपीएफ के जवानों पर हमले में लिप्त आतंकियों व उनके ओवरग्राउंड वर्कर की निशानदेही भी घटनास्थल के पास स्थापित एक सीसीटीवी कैमरे से ही हुई है। श्रीनगर से बाहर भी कई अन्य जगहों पर आतंकी वारदातों में शामिल आतंकियों को पकड़ने में सीसीटीवी कैमरों की भूमिका अहम रही है।
सिर्फ आतंकी वारदातों की बात नहीं हैं, अन्य असामाजिक तत्वों और अपराधियों को पकड़ने में भी यह मददगार साबित होते हैं। इसलिए सभी को सीसीटीवी कैमरे लगवाने की सलाह दी गई है। सीसीटीवी कैमरों के प्रति आम लोगों में बढ़ती जागरुकता से परेशान आतंकियों ने इनका विरोध शुरु कर दिया है। उन्होंने इंटरनेट मीडिया का सहारा लेते हुए लोगों को धमकाते हुए कहा कि जो भी सीसीटीवी लगवाने की सोच रहा है, वह अपने अंजाम के लिए तैयार रहे। जिन्होंने भी सीसीटीवी कैमरा लगाया है, वह उसे बंद कर दें और उतार दें,अन्यथा हम खुद कार्रवाई करेंगे और किसी को नहीं बख्शेंगे। आतंकी संगठन ने कहा है कि यह सिर्फ हमारे लोगों का मसला नहीं है, कश्मीर की बहू-बेटियों का भी मसला है, सीसीटीवी कैमरों में उनकी तस्वीरें भी कैद हाे जाती हैं। इसलिए सभी को अंतिम चेतावनी दी जाती है कि वे सीसीटीवी कैमरे न लगवाएं,अन्यथा उन्हें सबक सिखाया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि बाजार एसोसिएशनों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के संचालकों व आम लोगों द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने से आतंकी घबरा गए हैं। उन्हें लगता है कि अब वे कहीं नहीं छिप सकते और न वारदात को अंजाम देकर भाग सकते हैं, क्योंकि सीसीटीवी कैमरे में उनकी तस्वीर कैद हो जाएगी। आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर भी सीसीटीवी कैमरों से खौफ खाए हुए हैं।
कई ओवरग्राउंड वर्करों ने अपने हैंडलरों से कहा है कि वे अब उनके लिए काम नहीं कर सकते, क्योंकि सीसीटीवी में अगर वे कहीं किसी विघटनकारी गतिविधि में शामिल नजर आए तो उन्हें कानून के पंजे से कोई नहीं छ़ुड़ा पाएगा। सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को वह नहीं झुठला सकते। यह उनके गुनाहों का सबसे बड़ा गवाह होता है। इसलिए वह अब लोगों को धमका रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने पहले स्थानीय किसानों को अपने बागों की तारबंदी न करने का फरमान सुनाया था, क्योंकि आतंकी बाग और खेतों में छिपते थे। किसानों खुद बाग में जाने से डरते थे,लेकिन जब बागों की तारबंदी शुरु हुई तो किसान बेखौफ होकर अपने बागों में जाने लगे,क्योंकि आतंकियों के लिए एक अवरोधक लग चुका था।
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