झीरम हमले की बिलासपुर में हुई पहली सुनवाई, अब 7 मई को रायपुर में सुनेगा आयोग
झीरम हमले की बिलासपुर में हुई पहली सुनवाई, अब 7 मई को रायपुर में सुनेगा आयोग

बिलासपुर। मई 2013 में हुए झीरम घाटी हमले की जांच के लिए बने नए आयोग की पहली सुनवाई मंगलवार को बिलासपुर सर्किट हाउस में शुरू हुई और मिनटों में ही ख़त्म हो गई। इस दौरान कांग्रेस नेता जितेंद्र मुदलियार और निखिल द्विवेदी की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और अधिवक्ता देवेंद्र प्रताप सिंह के शपथपत्र के साथ वकालतनामा प्रस्तुत किया। वहीं, राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता सुदीप अग्रवाल ने शपथपत्र पेश किया है। अब अगली सुनवाई रायपुर में 7 मई को होगी।

5 माह पहले हुआ है गठन

राज्य शासन ने करीब पांच माह पहले दो सदस्यीय रिटायर्ड जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन के न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। तब आयोग को छह महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने की बात कही थी, लेकिन आयोग के गठन के साथ ही सुनवाई की प्रक्रिया में ही पांच माह बीत गया है। नए आयोग की सुनवाई में पूर्व में जारी जांच के बिंदुओं के के साथ ही तीन नए बिंदुओं को शामिल किया गया है।

पूर्व आयोग ने राजयपाल को सौंपी थी अधूरी रिपोर्ट

इससे पूर्व झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने 6 अक्टूबर को राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। झीरम हत्याकांड जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी यह रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने आयोग की जांच पूरी नहीं होने की बात कही थी।

राज्य शासन ने नए आयोग गठन के लिए जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग का कार्यकाल खत्म हो गया है और जस्टिस प्रशांत मिश्रा चीफ जस्टिस बनकर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट चले गए हैं। ऐसे में सरकार ने आयोग में दो नए सदस्यों को शामिल करने का निर्णय लिया है।

किसी राजनितिक दल पर सबसे बड़ा हमला

कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर 25 मई 2013 को झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल जैसे नेताओं के साथ ही 29 लोग मारे गए थे। देश में किसी राजनीतिक दल पर हुआ यह सबसे बड़ा हमला था।

राजनितिक षड्यंत्र का आरोप

तत्कालीन भाजपा शासनकाल में झीरम कांड के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराई थी। NIA की जांच में इसे नक्सली हमला बताया था। जबकि, कांग्रेसी इसे राजनीतिक हत्या की साजिश बता रहे थे। NIA ने जांच के बाद दो दर्जन से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी कर चालान विशेष अदालत में पेश कर दिया है। इधर, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दिवंगत पूर्व विधायक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने जगदलपुर थाने में राजनीतिक षडयंत्र और हत्या का केस दर्ज कराया था। जिसे NIA ने हाईकोर्ट में चुनौती थी। अब हाईकोर्ट ने भी NIA की अपील को खारिज कर दिया है। ऐसे में पुलिस अब इस केस की जांच शुरू कर सकती है।

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