महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री लौटे और इधर गारे - पेलमा कोल ब्लॉक की स्वीकृति भेजी राज्य सरकार ने
महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री लौटे और इधर गारे - पेलमा कोल ब्लॉक की स्वीकृति भेजी राज्य सरकार ने

रायपुर। दो दिन पहले ही महाराष्ट्र के ऊर्जामंत्री नितिन रावत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मिलकर रायगढ़ जिले के गारे-पेलमा -2 कोल ब्लॉक की स्वीकृति दिलाने का आग्रह किया था। वे लौटे ही थे कि इस बीच राज्य सरकार ने इस कोल ब्लॉक के लिए फारेस्ट लैंड डायवर्सन की अनुशंसा केंद्र सरकार को भेज दी है। अब इस कोयला परियोजना को शुरू करने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

गारे-पेलमा -2 कोल ब्लॉक के संचालन की स्वीकृति महाराष्ट्र स्टेट पॉवर कंपनी लिमिटेड को दी गई है, मगर इसकी औपचारिकताओं को पूरा करने में इसलिए देरी हुई क्योंकि राज्य भर में कोयला खदानों का जिस तरह विरोध हो रहा है वैसा ही गारे-पेलमा -2 कोल ब्लॉक का भी इलाके के लोग विरोध कर रहे हैं। यहां की ग्राम सभाओं में इसकी स्वीकृति नहीं दी जा रही है। यही वजह है कि यह परियोजना लगभग 3 सालों से अटकी हुई है।

कोल ब्लॉक में चढ़ेगी इतने पेड़ों की बलि

छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने महाराष्ट्र स्टेट पावर कंपनी लिमिटेड गारे पेलमा कोल माईन्स सेक्टर- 2 से मिले आवेदन पर सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद खदान की अनुशंसा भेजी है। इसके मुताबिक 300 लाख करोड़ की इस परियोजना के लिए 214.869 हेक्टेयर वन भूमि की जरूरत है।

कोल ब्लॉक के लिए मांगी गई वन भूमि में खदान के लिए इस क्षेत्र में कुल 3 हजार 684 पेड़ काटे जाने है। इसके एवज में चक्रधरपुर, नटवरपुर और धुमाबहाल गांवों में 214.869 हेक्टेयर निजी भूमि में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण की राशि जमा करने हेतु आवेदक संस्थान द्वारा आवश्यक शर्तों की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। हालाँकि जानकार बताते हैं कि पेड़ों की संख्या इससे काफी ज्यादा है।

वैकल्पिक वृक्षारोपण की तैयारी

विशेष वैकल्पिक वृक्षारोपण हेतु रायगढ़ वन मंडल के ग्राम चक्रधरपुर के निजी भूमि 115.207 हेक्टेयर, ग्राम नटवरपुर में 95.483 हेक्टेयर और ग्राम बंगुरसिया में 4.248 हेक्टेयर कुल 214.938 हेक्टेयर रकबा प्रस्तावित है। स्थलवार 10 वर्षीय क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण योजना तैयार की गई है। बहरहाल राज्य सरकार ने गारे-पेलमा -2 कोल ब्लॉक के वन भूमि व्यपवर्तन की स्वीकृति दे दी है और उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस परियोजना की स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी करके खदान महाजेनको को यह कोल ब्लॉक सुपुर्द कर देगी।

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