राजस्थान। किन्नर, भारतीय समाज का एक ऐसा हिस्सा है जो आज भी लोगों की नज़रों में अपने लिए सम्मान पाने और स्थान बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। लोगों को दुआए देकर अपना गुज़र बसर चलाने या ट्रेनों बसों में चंदा लेकर जीने वाले इस समुदाय के प्रति ज़्यादातर भारतीयों की राय हिचकिचाकहट से भरी हुई और असहज भाव भंगिमा पूर्ण होती है। हालाँकि बदलते वक्त के साथ किन्नर समुदाय को धीरे धीरे भारतीय समाज अपनाने का प्रयास कर रहा है तो किन्नर समुदाय भी अपने संघर्ष, परिश्रम और स्नेहिल व्यवहार से लोगों के मन में अपनी पुरानी छवि को धुंधला करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस कड़ी का हालिया उदाहरण राजस्थान के बीकानेर जिले में देखने को मिला जब किन्नर समुदाय ने एक ही घर की दो बेटियों का विवाह कार्यक्रम सम्पन्न कराया। दरअसल किन्नरों का एक समूह कुम्हार समाज की बस्ती में वर्ष 2017 में एक बच्चे के जन्मदिन पर बधाई देने पहुंचा था। लेकिन, जब वो ग्रुप नेग लेने पहुंचा, तो वहां परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था। किन्नरों को पता चला कि बच्चों के पिता की मौत हो गई है। इस बड़े दुख के साथ परिवार को ये भी सदमा था कि उन सात बेटियों की शादी कैसे होगी। लोग कह रहे थे कि अब परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा। परिवार की ये हालत देखते हुए समूह की लीडर रजनी ने वादा किया कि सात बेटियों में से दो की शादी का पूरा जिम्मा वो उठाएगी।

तब से बेटियों की माँ ने ही इनका बमुश्किल भरण पोषण किया है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बेटियों की शादी की ज़िम्मेदारी उठाना माँ के लिए मुश्किल हो रहा था। रजनी ने वादा तो किया लेकिन, बेटियों की शादी से पहले ही उनकी भी मौत हो गई। हालांकि, जाते-जाते उन्होंने मंडली को वादे के बारे में कह दिया और समूह से उनके वादे को पूरा करने को भी कहा। इतना जानते ही किन्नर समुदाय के इस समूह ने दोनों बेटियों की शादी कराने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। समूह ने दोनों बेटियों बसंती और ममता की शादी का न सिर्फ खर्च उठाया बल्कि बड़े ही धूमधाम से शादी भी सम्पन्न करवाई। शादी में करीब 1500 बाराती आये हुए थे।

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