अपने पार्षदों को निष्कासित करना भाजपा को पड़ा महंगा
अपने पार्षदों को निष्कासित करना भाजपा को पड़ा महंगा

जशपुर। जिले की पत्थलगांव नगर पंचायत में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली है, यहां भाजपा शासित नगर पंचायत पत्थलगांव में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद नए अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस की उर्वसी सिंह निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गईं।

भाजपा पार्षदों ने की थी बगावत

पत्थलगांव नगर पंचायत में कुल 15 पार्षद हैं, जिसमें 9 भाजपा, 5 कांग्रेस और 1 पर निर्दलीय काबिज है। यहां पूर्ण बहुमत के आधार पर नगर पंचायत का अध्यक्ष सुचिता एक्का को बनाया गया था। मगर कालांतर में नगर पंचायत उपाध्यक्ष श्याम नारायण गुप्ता और पार्षद अजय बंसल के बीच तनातनी के चलते भाजपा के पार्षदों की एकता खंडित हो गयी और भाजपा पार्षदों सहित कुल 12 सदस्यों ने अध्यक्ष को भ्रष्ट बताते हुए उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।

अविश्वास प्रस्ताव में हारने के बाद के बाद भाजपा आलाकमान ने उपाध्यक्ष श्यामनारायण गुप्ता सहित भाजपा के 5 पार्षदों को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। इसके बाद नगर पंचायत पत्थलगांव में भाजपा के 3 पार्षद ही रह गए थे।

निर्विरोध हुआ निर्वाचन

इसके बाद जिला प्रशासन ने नए अध्यक्ष के चुनाव की समय सारिणी घोषित की, उसके मुताबिक हुए चुनाव में जहां एक ओर भाजपा के पार्षद अनुपस्थित रहे, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने पार्षद उर्वशी सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया। इस दौरान भाजपा की ओर से किसी ने भी दावेदारी नहीं की, जिसके चलते कांग्रेस की उर्वशी सिंह निर्विरोध रुप से नगर पंचायत की अध्यक्ष चुनी गयी।

पार्षदों की एकजुटता से पलट गया पांसा

भाजपा के बहुमत वाले पत्थलगांव नगर पंचायत में कांग्रेस प्रत्याशी के अध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचन पर यहां
के उपाध्यक्ष श्याम नारायण गुप्ता, जिन्हें भाजपा से निष्कासित किया गया है, उन्होंने कहा कि ये सभी पार्षदों की जीत है, पार्षदों की एकता के चलते ही नगर पंचायत से एक भ्रष्ट अध्यक्ष को हटाया जा सका है।

वहीं इस जीत के बाद नई नगर पंचायत अध्यक्ष उर्वशी सिंह ने इसका श्रेय साथी पार्षदों को दिया और कहा कि वे सभी पार्षदों के साथ मिलकर पूरी जिम्मेदारी से नगर की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेंगी।

बता दें कि कांग्रेस की उर्वशी सिंह पत्थलगांव नगर पंचायत में पिछले पंचवर्षीय कार्यकाल में अध्यक्ष रह चुकी हैं। इस बार भाजपा के पार्षदों की आपसी लड़ाई का फायदा उन्हें हुआ और अध्यक्ष पद की कुर्सी एक बार फिर उनकी झोली में आ गिरी।

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