NFHS-5 Report

नई दिल्ली। देश भर में गरीबों एवं आम नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले इसके लिए सरकार सरकारी अस्पतालों के लिए करोड़ों रुपए बजट में प्रावधान कर खर्च करती है। इसके बावजूद  सरकारी अस्पतालों की हालल बेहद खराब है। सरकारी अस्पतालों अव्यवस्था का आलम यह है कि अब मरीजों का अस्पतालों के प्रति मोहभंग होता जा रहा है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के सर्वे में सामने आया है कि भारत में आधे परिवार ऐसे हैं जो स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्र नहीं जाते हैं। इस सर्वे में पता चला है कि ऐसा लोगों ने सार्वजनिक अस्पतालों की खराब गुणवत्ता के चलते किया। बता दें कि 2019-21 में कराए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट को स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने पिछले हफ्ते जारी किया था।

सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-21 के दौरान सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग नहीं करने वाले परिवारों का प्रतिशत लगभग 49.9 फीसदी था। यही आंकड़ा 2015-16 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में 55.1 प्रतिशत था।

गौरतलब है कि 2019-21 के दौरान ऐसे परिवारों का अनुपात सबसे अधिक बिहार में (80 फीसदी), उत्तर प्रदेश(75 प्रतिशत) था। वहीं लद्दाख, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सबसे कम 5 प्रतिशत पाया गया। हालांकि उत्तर प्रदेश में सरकारी सुविधा का उपयोग नहीं करने वाले परिवारों में मामूली गिरावट देखी गई। दरअसल 2015-16 में यह अनुपात यूपी में 80.1 फीसदी था।

उत्तराखंड में भी जहां यह अनुपात 2015-16 में 50.5 फीसदी था तो वहीं 2019-21 में बढ़कर 55.7 प्रतिशत हो गया। वहीं इस सर्वे में लोगों के बीमार होने पर सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठाने के कारण बताए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे सामान्य कारण सरकारी अस्पतालों में देखभाल की खराब गुणवत्ता के चलते लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने से बचते हैं।

इसके अलावा दूसरा सबसे आम कारण सरकारी सुविधाओं को पाने में लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। ऐसे में 46 फीसदी लोगों ने इस कारण से सरकारी सुविधा नहीं ली। वहीं 40 फीसदी परिवार ऐसे भी हैं जिनके घरों के आस-पास कोई सरकारी सुविधा नहीं है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं से स्वास्थ्य सेवा नहीं लेने वाले 48 प्रतिशत परिवारों ने देखभाल की खराब गुणवत्ता को ही सबसे बड़ा कारण बताया।

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में 46.9 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 51.7 प्रतिशत परिवारों ने 2019-21 के दौरान सार्वजनिक अस्पतालों का उपयोग किया। वहीं निजी हॉस्पिटल में स्वास्थ्य सेवा लेने वाले परिवारों का अनुपात शहरों में 51.8 फीसदी और गांवों में 46.4 फीसदी रहा।

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