टीआरपी डेस्क। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने ई-फार्मेसी पर लगाम कसने की मांग की है। इससे पहले भी कैट की ओर से लगातार ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर नकली, गलत या मिलावटी दवाएं बेचने वालों पर शिकंजा कसने की अपील की जा रही थी।

कैट का कहना है कि ई-फार्मेसी के नाम पर ये ऑनलाइन कंपनियां उन दवाओं को भी बेच रही हैं, जिनकी अनुमति नहीं है। इसके साथ ही कैट का कहना है कि देश में अनेक बड़े विदेशी और देसी कॉर्पोरेट कंपनियां ऑनलाइन फ़ार्मेसी से दवाओं की आपूर्ति करने के दौरान ड्रग एवं कॉस्मैटिक क़ानून की लगातार अवहेलना कर रही हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बार बार याद दिलाने के बावजूद कोई कारवाई न करने पर अफसोस जताया है। कैट ने उनसे इस मुद्दे पर गठित मंत्रियों के समूह जिसके अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे, की सिफ़ारिशों को तुरंत सार्वजनिक करने का भी आग्रह किया है। इस बीच कैट का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेगा और उन्हें देश में ई-फार्मेसियों के नियम एवं कानून के स्पष्ट उल्लंघन के बारे में अवगत कराएगा।
देश में दवाओं का निर्माण, आयात, बिक्री और वितरण औषधि और प्रसाधन सामग्री कड़े क़ानून और नियमों द्वारा नियंत्रित होता है। आयातक, निर्माता, विक्रेता या दवाओं के वितरक के लिए एक वैध लाइसेंस होना अनिवार्य है, बल्कि यह भी अनिवार्य है कि सभी दवाओं को केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा ही दिया जाए।
सरकार को केवल उन्हीं ई-फार्मेसियों को अनुमति देनी चाहिए जिनके पास ऐसी दवाएं हैं जिन्हें ई-फार्मेसी पर बेचने की अनुमति है और इसके अतिरिक्त सभी शेष ई-फार्मेसी को बंद करने के निर्देश देने चाहिए।
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