सहारा के गिरफ्तार किये गए डायरेक्टर एक साथ पड़े बीमार
सहारा के गिरफ्तार किये गए डायरेक्टर एक साथ पड़े बीमार

राजनांदगांव। जिले की कोतवाली पुलिस ने सहारा इंडिया के 04 डायरेक्टरों को लखनऊ से गिरफ्तार कर बड़ी उपलब्धि हासिल तो की, पर गिरफ्तार आरोपियों को जेल की बजाए इलाज के बहाने अस्पताल में भर्ती करने की जो साजिश रची गई, वह चौंकाने वाली है। आश्चर्य इस बात का है कि गिरफ्तार चारों डायरेक्टर अचानक बीमार पड़ गए, और तो और शासकीय अस्पताल प्रबंधन ने इन सभी को एक ही वार्ड में आजू-बाजू बेड भी उपलब्ध करवा दिया।

ये है मामला…

सहारा इंडिया की सहयोगी कंपनी में जिले भर के कई निवेशकों एवं अभिकर्ताओं द्वारा निवेश करवाया गया था, मगर उनकी मैच्योरिटी अवधि पूरी होने पर भी रकम उन्हें वापस नहीं की जा रही है, जिससे निवेशक और अभिकर्तागण परेशान थे, इनकी शिकायत पर उक्त कृत्य धोखाधड़ी व अमानत में खयानत की परीधि में आने पर थाना कोतवाली, राजनांदगांव में सहारा इंडिया के विरूद्ध अपराध धारा 406, 409 भा.दं.वि. 3, 4 ईनामी चिट फंड व धन परिचालन स्कीम अधिनियम 1978 का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

वर्तमान में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ लगातार कार्यवाही की जा रही है, इसी के तहत राजनांदगांव पुलिस ने भी सहारा इण्डिया के मामले में सक्रियता दिखाई। सहारा इंडिया के खातों एवं बैंकों में जमा रकम एवं आरोपी डायरेक्टरों के संबंध में जानकारी सायबर सेल के सहयोग से एकत्र की गई और इसके बाद उप पुलिस अधीक्षक नाशीर बाठी के नेतृत्व में थाना कोतवाली पुलिस एवं सायबर सेल की टीम ने लखनऊ उत्तरप्रदेश जाकर सहारा इंडिया की सहयोगी कंपनी – सहारियन यूनिवर्सल मल्टिपरपस सोसायटी लिमिटेड के 02 आरोपी डायरेक्टर मोहम्मद खालिद उम्र 62 और शैलेष मोहन सहाय उम्र 62 साल, सहारा क्यू-शॉप युनिक प्रोडक्ट रेंज लिमिटेड के डायरेक्टर प्रदीप कुमार, उम्र 58 वर्ष तथा सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के आरोपी डायरेक्टर लालजी वर्मा, उम्र 66 वर्ष को गिरफ्तार कर राजनांदगांव लाया गया।

15 करोड़ लौटाने का दिया शपथ पत्र

आरोपियों को न्यायालय पेश किया गया, जहां बचाव पक्ष की ओर से आरोपियों को जेल जाने से बचने के लिए राजनांदगांव जिले के निवेशकों को 15 करोड़ की राशि वापस करने संबंधी शपथ पत्र कंपनी द्वारा दिया गया, मगर न्यायाधीश ने जमानत देने से इनकार किया और आरोपियों को जेल दाखिल करने का आदेश जारी कर दिया।

डॉक्टरों ने की मेहरबानी

सहारा के इन चारों डायरेक्टरों को जेल भेजा जाना था पर स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की मेहरबानी से इन सभी को एक साथ बीमार बताकर अस्पताल दाखिल करा दिया गया। सबसे बड़ा गंभीर सवाल ये उठता है कि आखिर लोगों के करोड़ों रूपये हजम करने वाले इन आरोपियों के प्रति इतनी नरमी क्यों दिखाई जा रही हैं, और एक साथ चारों आरोपी कैसे बीमार पड़ गए, यह भी जांच का विषय है, और बीमार भी हुए तो इन्हें दुर्ग जेल में दाखिल क्यों नहीं कराया जा रहा है, जहां पर अस्पताल की भी जेल के भीतर व्यवस्था है।

अब अस्पताल में कर रहे हैं आराम !

निवेशकों की करोड़ों की राशि हजम करने के आरोप में बड़ी मुश्किल से सूझ-बूझ के साथ पुलिस ने लखनऊ से आरोपियों को धर दबोचा, मगर उनका रसूख लखनऊ से लेकर राजनांदगांव तक असर दिखा रहा है। इन्हें शासकीय अस्पताल बसंतपुर में बकायदा मेडिकल वार्ड में एडमिट भी कर दिया गया है। अस्पताल में ना किसी को सलाइन चढ़ी और न ही कोई विशेष बीमारी की दवाएं दी जा रही हैं। इन आरोपियों को बाकायदा 17, 18, 19, 20 नंबर के बिस्तर डॉक्टरों के द्वारा उपलब्ध करा दिए गए हैं। सवाल यह उठता है कि चारों आरोपी एक ही समय एक साथ आखिर कैसे बीमार पड़ गए, ऐसा लगता है मानो यह छत्तीसगढ़ राज्य में ही संभव है, जहां निवेशकों का पैसा लौटाने की बात सरकार करती है, मगर उसके नौकरशाह निवेशकों का पैसा हजम करने वाले लोगों को सुविधा देने से भी पीछे नहीं हटते। यहां आरोपी प्रभावशाली हो तो जेल की बजाय अस्पताल में मौज करते हैं। आखिर क्या वजह है कि डॉक्टरों को भी इनके बीमार होने की रिपोर्ट बनानी पड़ी, न कोई मेडिकल बोर्ड ना ही आरोपियों द्वारा किये गए गंभीर कृत्य के बारे में चिंता।

आरोपी बीमार तो दुर्ग जेल में है अस्पताल

आरोपियों को अगर राजनांदगांव पुलिस ने जेल दाखिल कर दिया होता, तो निश्चित रूप से अगर वह बीमार है, तो उन्हें दुर्ग जेल ले जाया जाता, जहां इलाज की पूरी सुविधा उपलब्ध है। अब सवाल उठाया जा रहा है कि लखनऊ के सहारा के इन डायरेक्टरो को क्या पुलिस दुर्ग जेल भेजेगी ?

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