हाईकोर्ट को नहीं है जिला न्यायाधीश को सेवामुक्त करने का अधिकार
हाईकोर्ट को नहीं है जिला न्यायाधीश को सेवामुक्त करने का अधिकार

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने माना है कि जिला न्यायाधीश की सेवा समाप्त करने का अधिकार उसे नहीं बल्कि राज्यपाल को है। वहीं राज्यपाल को भी बर्खागस्ती की सिफारिश हाईकोर्ट की फुल बेंच द्वारा की जा सकती है।

इस मामले में दिया फैसला

राजधानी रायपुर में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किए गए याचिकाकर्ता गणेशराम बर्मन ने अपनी सेवा समाप्त करने के हाईकोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में ही चुनौती दी थी। दरअसल हाईकोर्ट ने एक गुमनाम शिकायत की जांच के बाद बर्मन के विरुद्ध उनकी परिवीक्षा अवधि में यह कार्रवाई की थी। याचिका में कहा गया कि बर्खास्तगी के मामले में उनके विरुद्ध जांच के दौरान विभागीय जांच की प्रक्रिया का पूरा पालन किया जाना था। राज्य शासन की स्थायी समिति को याचिकाकर्ता की सेवा समाप्त करने की सिफारिश करने का अधिकार नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 235 के प्रावधानों के अनुसार हाईकोर्ट की फुल बेंच को ही सेवा समाप्त करने की सिफारिश करने के लिए अधिकृत किया गया है।

इस मामले में हाईकोर्ट ने माना कि संविधान अनुच्छेद के तहत अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, जिला न्यायाधीश की सेवाओं को समाप्त करने या रेंक में कमी करने की सजा हाईकोर्ट को देने का अधिकार नहीं है। चूंकि उनकी नियुक्ति के लिए राज्यपाल प्राधिकारी हैं, यह अधिकार भी उन्हीं के पास है। अनुच्छेद 235 में हाईकोर्ट के पास जिला न्यायाधीश से जवाब मांगने और अनुशासनात्मक नियंत्रण की शक्ति है। हाईकोर्ट की फुल बेंच सजा के लिए राज्यपाल को सिफारिश कर सकता है।

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