नक्सल मुद्दे पर शुरू हुई जुबानी जंग
नक्सल मुद्दे पर शुरू हुई जुबानी जंग

रायपुर। दो दिनों पूर्व सीएम भूपेश बघेल द्वारा दिए गए बयान के बाद भाजपा-कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। सीएम ने कहा था कि भाजपा और नक्सली दोनों भारत का संविधान नहीं मानते।

सीएम के बयान के जवाब में भाजपा प्रदेश मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि इस देश में नक्सलियों को किसका मौन समर्थन है, सब जानते हैं, और कांग्रेस को यह कहने का अधिकार नहीं है कि संविधान पर विश्वास किसको है और किसको नहीं। देश इस बात का गवाह है कि संविधान की मान्यताओं को रौंद कर जब देश में आपातकाल लगा था, उस समय देश में कांग्रेस की ही सत्ता थी और कांग्रेस को आपातकाल के बाद जनता ने जो करारा जवाब दिया था उससे कांग्रेस अब तक उबर नहीं पाई है और न ही उबरेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हमेशा भ्रम फैलाने के लिए कुछ भी कह जाते है, उन्हें बताने की जरूरत नहीं है कि भाजपा का संविधान पर कितना विश्वास है। हमारे लिए देश प्रथम है। उन्होंने कहा कि इस देश में नक्सलवाद जैसी गंभीर समस्या को अपने लाभ के लिए किसने पोषित किया है, उस दल का नाम ही कांग्रेस है।

भाजपा के आरोपों के जवाब में प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा कि 15 साल तक रमन सरकार इस नियम का पालन करवाती थी, तब नक्सलवादियों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया था, आज भाजपा और नक्सलियों का सुर एक क्यों हो गया? यह इससे साफ हो रहा है कि नक्सलवादियों और भाजपा में सांठ-गांठ है, जो भाजपा चाहती है वही नक्सली भी चाहते है। 15 साल तक जो नियम-कायदे भाजपा की सरकार के लिये मुफीद थे वह नक्सलियों को भी मंजूर था। जब सरकार बदल गयी भाजपा को आपत्ति हो गयी। नक्सली भी विरोध में आ गये। भाजपा के 15 साल के राज में नक्सलवाद ऐसे ही नहीं बस्तर के तीन ब्लाक से निकल कर पूरे प्रदेश में फैल गया था। भाजपा नक्सलवाद को खाद, पानी देती रही तभी प्रदेश में नक्सलवाद का विस्तार हुआ। झीरम में कांग्रेस नेताओं की पूरी पीढ़ी की नक्सलियों द्वारा किये गये हत्याकांड का राजनैतिक लाभ भी तो भाजपा को ही हुआ था।

आर.पी. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी और भाजपा एक दूसरे के पूरक हैं। धीरे-धीरे भाजपा का यह नापाक गठबंधन बेनकाब हो गया है।

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