NTPC के ऐश डाइक से उड़ती राख ने ग्रामीणों का जीना किया मुहाल
NTPC के ऐश डाइक से उड़ती राख ने ग्रामीणों का जीना किया मुहाल

बिलासपुर। NTPC सीपत के राखड़ डेम से उड़ने वाली जहरीली राख से परेशान ग्राम रॉक, रलिया, हरदाडीह, भिलाई, गतौरा, सुखरीपाली, कौड़िया, सहित आसपास के कई गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने मस्तूरी स्थित एसडीएम कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन दे रहे कुछ ग्रामीणों के चेहरे भी राख से सने हुए हैं

पका भोजन भी खाना हुआ मुश्किल

ग्रामीणों ने प्रशासन को दिए गए ज्ञापन में बताया है कि NTPC पावर प्लांट के राखड़ डैम से उड़ने वाली राख से आसपास के दर्जनों गांवों में जन-जीवन अस्त- व्यस्त हो गया है। यहां पूरे इलाके में राख उड़कर बिछ जाती है। आलम ये है कि घरों में पके भोजन को खाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि डैम से उड़ी राख बर्तन और भोजन में भी गिर जाती है, वहीं घरों के बाहर सुखाये गए कपड़े भी गंदे हो रहे हैं।

लोगों को बीमार बना दिया

मस्तूरी जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि रामनारायण राठौर, जनपद सदस्य देवी कुर्रे, गतौरा सरपंच सुरेश राठौर, उप सरपंच देव सिंह पोरते का कहना है NTPC प्रबंधन ने इस राखड़ के बीच हम लोगो को नरकीय जिंदगी जीने के लिए छोड़ दिया है। प्रबंधन ने गांव में राखड़ डेम बनाकर लोगों को बीमार बना दिया है। यहां के ज्यादातर लोग अस्थमा, खांसी, सर्दी, बुखार के अलावा सांस की बीमारी से ग्रसित हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि इस समस्या का अगर जल्द निदान नही होता है तो हम उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

ऐश डाइक के पास बैठे ग्रामीण और पीछे उड़ रही राख

दो सौ एकड़ के परिधि में तीन ऐश डाइक

सीपत एनटीपीसी के आश्रित ग्राम रॉक, रलिया और सुखरीपाली के लगभग दो सौ एकड़ के क्षेत्रफल में तीन राखड़ डेम का निर्माण 2007 में कराया गया है। इन्हीं राखड़ डेम से उड़ने वाली जहरीली राख से रॉक, रलिया ,हरदाडीह, भिलाई,गतौरा,सुखरीपाली, कौड़िया, देवरी, एरमशाही, मुड़पार सहित आसपास के दर्जनभर गांवों के लोगों का जीना दूभर हो गया है। जरा सी हवा के चलते ही पूरे इलाके में राख का धुंध छा जाता है, यहां 10 फिट की दूरी से देखना मुश्किल हो जाता है।

जहरीली राख से बच्चों को बचाने का ये तरीका..!

डेम से उड़ती जहरीली राख से संभावित बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए अब ज्यादातर ग्रामीण उन्हें अपने रिश्तेदारों के घर दूसरे गांव भेज रहे है। इनका कहना है कि हम जब घर के अंदर राखड़ के प्रकोप से सुरक्षित नहीं हैं तो बच्चे कहां से रहेंगे। अब वे बारिश आने के बाद ही बच्चों को वापस बुलवाएंगे। बच्चों के बाहर होने से 15 जून से खुलने वाली स्कूल की पढ़ाई की प्रभावित होगी।

..तो 2008 का आंदोलन दोहराना पड़ेगा

जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि रामनारायण राठौर का कहना है कि एनटीपीसी सीपत प्रबंधन ने हम लोगो से विकास कराने का वादा करके हमारी जमीन ले ली और छोड़ दिया नरकीय जिंदगी जीने के लिए। एनटीपीसी ने गांव में विकास तो नही किया लेकिन गांव में तीन तीन राखड़ डेम बनाकर लोगो को बीमार बना दिया है। क्षेत्र के ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों द्वारा लगातार एनटीपीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया गया लेकिन इस ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। राठौर का कहना है कि उन्हें 2008 के आंदोलन को फिर से दुहराना पड़ेगा, तब कही कुछ सुनवाई होगी।

शिकायत के बाद बुलाई बैठक

राख से प्रभावित ग्रामीणों के गुस्से और उनके द्वारा की गई शिकायत के तत्काल बाद मस्तूरी के SDM पंकज डाहिरे ने NTPC सीपत के संबंधित अधिकारियों को तलब किया और ऐश डाइक से उड़ रही राख के बारे में चर्चा की। पंकज डाहिरे ने TRP न्यूज़ को बताया कि NTPC के 2 ऐश डाइक में पानी भरा हुआ है मगर तीसरी को हाइवे में राख के परिवहन के लिए सूखा रखा गया है। यहीं से राख उड़कर गांवों तक पहुँच रही है। इससे होने वाली परेशानी को देखते हुए फिलहाल NTPC प्रबंधन को ऐश डाइक को बारिश के आने तक गीला रखने को कहा गया है। उधर पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा भी इस मामले में NTPC को नोटिस जारी किया गया है, और प्रदूषण को रोकने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
बहरहाल देखना होगा कि ग्रामीणों की शिकायत और प्रशासन की हिदायत के बाद NTPC प्रबंधन राख के प्रदूषण पर कितना अंकुश लगा पाता है।

जरा देखें NTPC सीपत के ऐश डाइक से किस तरह राख उड़कर इलाके को प्रदूषित कर रही है :

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