आंगनबाड़ी कर्मियों का अपनी मांगों को लेकर राजधानी में 2 दिनों का "महापड़ाव"
आंगनबाड़ी कर्मियों का अपनी मांगों को लेकर राजधानी में 2 दिनों का "महापड़ाव"

रायपुर। प्रदेश भर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने एक बार फिर आंदोलन छेड़ दिया है। राजधानी के बूढ़ातालाब स्थित धरनास्थल पर दो दिवसीय धरना शुरू करके कार्यकर्ताओं ने अपनी मांग शासन के समक्ष पुनः रख दी है।

श्रमिक संगठन सीटू से सम्बद्ध छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन द्वारा आयोजित इस 2 दिवसीय धरने को ”संघर्ष का महापड़ाव” नाम दिया गया है। जिसमे हजारों की संख्या में महिलाएं शामिल हो रही हैं। इनकी एक ही प्रमुख मांग ये है कि उनके शासकीय कर्मचारी घोषित होने तक उन्हें कांग्रेस पार्टी द्वारा जनघोषणा पत्र में कलेक्टर दर पर मानेदय देने के अपने चुनावी वादे को पूरा किया जाये। इसके अलावा कुछ अन्य मांगें भी हैं, जिनमे सामाजिक सुरक्षा के रूप में मासिक पेंशन और समूह बीमा योजना का लाभ, सेवानिवृत्ति या मृत्यु होने पर कार्यकर्ताओं को 5 लाख और सहायिकाओं को 3 लाख रूपये एकमुश्त भुगतान का प्रावधान किया जाये, पर्यवेक्षक के शत प्रतिशत रिक्त पदों को कार्यकर्ताओं की पदोन्नाति से भरा जाए, कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं के रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती की जाए, मिनी आंगनबाड़ी केंद्र को पूर्ण आंगनबाड़ी का दर्जा प्रदान करते हुए कार्यकर्ताओं का संविलियन किया जाए।

मांगें पूरी नहीं होने पर जुलाई से बेमियादी हड़ताल

छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्त एवं सहायिका यूनियन के पदाधिकारियों ने बताया कि इस दो दिवसीय महापड़ाव के बाद अगर उनकी मांगों पर पहल नहीं की गई तो वे 7 से 11 जुलाई तक फिर से धरना-प्रदर्शन करेंगी। बावजूद इसके अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो प्रदेश भर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले जायेंगे।

गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने राजधानी के धरनास्थल पर भले ही आंदोलनकारियों की संख्या तय कर दी है, मगर बीते कुछ समय से यहां हो रहे धरना प्रदर्शन में हालात जस के तस नजर आ रहे है। आंगनबाड़ी कर्मियों के इस आंदोलन में पहुंची हजारों कर्मियों को देखकर तो ऐसा ही लगता है।

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