आतंक पर आस्था भारी, खीर भवानी मेले में जुटे 18 हजार कश्मीरी पंडित

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा टारगेट किलिंग कर हिंदुओं को निशाना बनाए जाने का बाद से वहां की स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। लेकिन कश्मीरी पंडितों की आस्था आतंक पर भारी पड़ती नजर आ रही है। गांदरबल में आयोजित होने वाले खीर भवानी मेले करीब 18 हजार कश्मीरी पंडितों के पहुंचने से यह साबित हो गया है कि आतंकवाद  के आगे आस्था भारी पड़ी हैं।  

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 18 हजार कश्मीरी पंडितों और भक्तों ने जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में माता खीर भवानी के मंदिर में ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर अपने पूजनीय देवता की पूजा की है। दरअसल, खीर भवानी मेला गांदरबल के तुलमुल्ला में माता खीर भवानी मंदिर में हर साल ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर आयोजित किया जाता है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पवित्र मंदिर में आते हैं। यह आयोजन वर्षों से कश्मीर घाटी में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है लेकिन पिछले दो वर्षों से महामारी के कारण आयोजित नहीं किया जा सका।

हालांकि इस बार कश्मीर में जारी टारगेट किलिंग की घटनाओं के चलते यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने खुद पूरे आयोजन की निगरानी की। मेले के बाद सरकार ने बयान जारी कर बताया कि ज्येष्ठ अष्टमी पर करीब 18000 कश्मीरी पंडितों और भक्तों ने माता खीर भवानी मंदिर के दर्शन किए। शाम की आरती में करीब 2500 कश्मीरी पंडितों ने हिस्सा लिया।

माता खीर भवानी को कश्मीरी पंडितों की देवी माना जाता है। कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग की घटनाओं को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हाइलेवल मीटिंग की थी। इसमें अमरनाथ यात्रा से लेकर खीर भवानी मेले तक की तैयारियों के बारे में जानकारी ली गई। अमरनाथ के बाद खीर भवानी मंदिर की ही सबसे ज्यादा मान्यता है।

बताया जा रहा है कि खीर भवानी कार्यक्रम की सफलता आगामी अमरनाथ यात्रा के लिए भी शुभ संकेत है, जो दो साल के अंतराल के बाद हो रही है। 

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