हसदेव अरण्य को छोड़ने भर से देश में नहीं होगा कोयला संकट
हसदेव अरण्य को छोड़ने भर से देश में नहीं होगा कोयला संकट

रायपुर। हसदेव अरण्य को बचने के लिए इलाके के ग्राम हरिहरपुर में चल रहे आंदोलन को समर्थन देकर लौटीं सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर ने कहा कि “हसदेव अरण्य” में पूरे देश का मात्र 2 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ के कुल कोयले का भंडार का मात्र 10 प्रतिशत ही मौजूद है, जिसे छोड़ने पर भी कोई कोयला संकट नही होगा l देश में कुल कोयले का भंडार 3.2 लाख मीट्रिक टन है और हमारी जरुरत प्रतिवर्ष मात्र 2 हजार मीट्रिक टन है l

नए खदान और पॉवर प्लांट की जरुरत ही नहीं

रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि यदि कोल इण्डिया अपनी वर्तमान संचालित और स्वीकृति प्राप्त खदानों से पूर्ण क्षमता पर उत्पादन करे तो MDO अनुबंध, निजी क्षेत्र या कोयले के आयात की भी कोई जरुरत नही होगी l हमारे वर्तमान पॉवर प्लांट भी अपनी पूरी क्षमता (PLF ) पर उत्पादन करें तो नए पॉवर प्लांटो की भी स्थापना की जरुरत नही है l

परिवर्तन का संकट झेल रहा है विश्व

मेधा पाटकर ने कहा कि पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के संकट से जूझ रही है l जब धरती पर जीवन का अस्तित्व ही खतरे में है, उस स्थिति में हम हसदेव अरण्य जैसे समृद्ध वनों का विनाश कैसे कर सकते हैं ? COP26 में सभी देशो ने कोयले के उपयोग से पीछे हटने का संकल्प लिया है, जिसमे हमारे प्रधानमंत्री ने भी वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा की जरूरतों को वैकल्पिक स्रोतों से पूरा करने का निर्णय लिया है l उस पर अमल करने के बजाए नए कोल ब्लाको को सहमती देना सत्ता का दोहरा रवैया प्रदर्शित करता है l

कांग्रेस की सरकार से उम्मीद

मेधा पाटकर ने राहुल गांधी के उस बयान की भी प्रशंसा की जिसमे उन्होंने हसदेव अरण्य के आन्दोलन को जायज ठहराते हुए खनन की अनुमतियो को गलत करार दिया था l उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि राहुल अपनी इस महत्वपूर्ण भूमिका और निर्णय से पीछे नहीं हटेंगेl कांग्रेस ने ही केंद्र की सत्ता में रहते हुए जनपक्षीय कानून पेसा अधिनियम 1996, वनाधिकार मान्यता कानून 2006 और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को बनाया है l छत्तीसगढ़ के कांग्रेस की सरकार से उम्मीद है कि वह इन कानूनों का पालन सुनिश्चित करेगी।

ग्राम सभाओं ने खनन की नहीं दी अनुमति

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए किसान नेता पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने कहा कि हसदेव अरण्य की ग्राम सभाओं ने कभी भी खनन की सहमति प्रदान नहीं की है। परसा कोल ब्लॉक की जो वन भूमि डायवर्सन स्वीकृति हासिल की गई है, वह ग्राम सभा के फर्जी प्रस्ताव पर आधारित है। देश में कई उदाहरण हैं, चाहे प्लाचीमाड़ा (केरल) हो या नियमगिरी (ओडिशा) ग्राम सभा के अधिकार ही सर्वोच्च है और इसी आधार पर न्यायालय द्वारा इन परियोजनाओं को रद्द किया गया था।

इस प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम हसदेव के मुद्दे को कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व तक भी ले जाने की कोशिश करेंगे।

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