मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार में उलटफेर होने के बाद भी वहां राजनीति गतिरोध जारी है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनाने में कामयाब रहे और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। इसके बाद भी सियासी कलह थमी नहीं है और एक बार फिर से विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंचा है। शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक 15 विधायकों के सदन में घुसने पर रोक लगाने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि जब तक इन विधायकों को मिले अयोग्यता के नोटिस पर फैसला नहीं होता है, तब इन्हें एंट्री नहीं दी जा सकती। यही नहीं उनकी ओर से विधानसभा में बहुमत परीक्षण पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।

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शिवसेना की अर्जी में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों को डिप्टी स्पीकर की ओर से अयोग्यता का नोटिस भेजा गया था। अभी इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है। ऐसे में उस पर कोई निर्णय होने से पहले इन लोगों की विधानसभा में एंट्री नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा ये लोग विधायक के तौर पर बहुमत परीक्षण में मतदान का भी अधिकार नहीं रखते हैं। इसी तर्क के साथ सुनील प्रभु ने कहा है कि फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत परीक्षण पर भी रोक होनी चाहिए। बता दें कि एकनाथ शिंदे ने गुरुवार शाम को ही महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली थी और भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बन गए हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र 2 और 3 जुलाई को

गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र 2 और 3 जुलाई को बुलाया गया है। इस दौरान पहले सदन के स्पीकर का चुनाव होगा और फिर शिंदे सरकार बहुमत साबित करेगी। सरकार की तैयारी किस स्तर पर है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि आज शाम को भाजपा विधायक दल की मीटिंग होने वाली है। यह बैठक विधानसभा स्पीकर के चुनाव को लेकर ही बुलाई गई है और इसमें स्पीकर के उम्मीदवार पर फैसला हो सकता है। स्पीकर के चुनाव के बाद ही सदन में उनकी देख-रेख में बहुमत परीक्षण की प्रक्रिया होगी। लेेकिन शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर फैसले तक इस पर रोक लगाने की मांग कर रही है। देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस पर क्या फैसला आता है।

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