0 बैंकों के ब्याज दर और प्रक्रिया पर सवाल
0 कई सौ करोड़ की राशि निजी बैंकों में जमा


रायपुर, टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ विधानसभा का पावस सत्र 20 से शुरू होगा। भूपेश सरकार पर अपने तीखे सवाल करने की पूरी तैयारी भी विपक्षियों ने कर ली है। इसी तारतम्य में नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री के वित्त विभाग से संबंधित एक ऐसा सवाल लगाया है, जिसका जवाब तैयार करने में उन विभागों का पसीना छूट गया है जिन्होंने नियमों को ताक पर रखकर शासकीय राशि को निजी बैंकों में जमा कराया है। इसमें निगम, मंडल, आयोग और पुलिस, पीएचई, पीडब्ल्यूडी समेत अन्य सरकारी इदारे हैं। सीएलपी श्री कौशिक के हवाले से सरकारी धनराशि को निजी बैंकों में जमा करवाने की शर्तें, नियम और विभागवार राशि तक की जानकारी मांगी गई है।
भाजपा विधायक और नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस सत्र में ये प्रश्न लगाया है। नेताप्रतिपक्ष के सवाल के जवाब की तैयारियों में खासकर पुलिस विभाग की पेशानी में बल पड़ने लगा है। जानकारी के मुताबिक चंद निगम, मंडल और आयोग वजह भी नहीं बता पा रहे । इसी तरह सैलून से सरकारी और राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा सरकारी फंड को बिला वजह छोटे, निजी बैंक में कम ब्याज दर पर जिम्मेदार अधिकारीयों ने जमा कर दिया है।
कटघरे में प्रशासनिक अफसर
वर्षों से सरकारी और राष्ट्रीय बैंकों में जमा करोड़ों की विभागीय शासकीय राशि को क्यों निजी बैंकों में कम ब्याज दर पर जमा किये ? ऐसा करने के पीछे क्या मंशा थी? क्या निजी बैंकों से कोई विशेष पैकेज लिया गया था या फिर निजी लाभ के मद्देनज़र अफसरों ने ऐसा किया, ये जवाब विपक्ष सीएम से मांगेगा।
कुल 26 बैंक हैं सूचीबद्ध
कई ऐसे विभागों की बल्क में शासकीय राशि पूर्व में राष्ट्रीयकृत और बड़े बैंकों में जमा करवाई गई थी। वैसे भी नियमतया जो 5 साल पुराने और बड़े स्थापित बैंकों में ही ब्याजदर को मद्देनज़र रखते हुए सरकारी पैसा जमा करवाना होता है। लेकिन, अधिकारियों के इंट्रेस्ट पर खतों को यूं ट्रांसफर करवाने का घालमेल चर्चा का विषय है। शासन के पास ऐसे 26 सूचीबद्ध बैंक हैं इनकी ब्याज दरों में अंतर भी है और कई बैंक छोटे व 5 साल पहले वजूद में आए हैं।
सवाल के जवाब की ये मियाद
सवाल का जवाब विभागवार उत्तर विधानसभा सचिवालय को 14 जुलाई 2022 तथा सदन में उत्तर हर हाल में 20 जुलाई तक प्रस्तुत करने को कहा गया है। हालाकि माहभर पूर्व से ही सभी निगम, मंडल, आयोग और सरकारी विभागों में दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। फिर भी खाता तब्दील करने से लेकर ऐसा करने की कोई पुख्ता व संतोषजनक जवाब दे नहीं पाए हैं अधिकारी।
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