स्थानीय लोगों से मुलाकात नहीं की रेलवे बोर्ड के चैयरमेन ने
स्थानीय लोगों से मुलाकात नहीं की रेलवे बोर्ड के चैयरमेन ने

कोरबा। यहां पहुंचे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके त्रिपाठी ने स्थानीय लोगों को मुलाकात के लिए समय नहीं दिया। इससे नाराज होकर पूर्व गृह मंत्री व विधायक ननकीराम कंवर की अगुवाई में रेलवे संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने रेल पटरी के बीच बैठकर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद रेलवे के अधिकारियों ने गेवरा रोड स्टेशन में चेयरमैन त्रिपाठी से मुलाकात कराने का भरोसा दिलाया तब कहीं जाकर आंदोलन समाप्त हुआ।

कोरबा में यात्री सुविधाओं की मांग को लेकर सुबह से ही चेयरमैन से मुलाकात करने रेलवे स्टेशन में काफी संख्या में नागरिक इंतजार करते रहे। पर यहां मौजूद रेलवे के अधिकारी चेयरमैन के आगमन से जुड़ी जानकारियां देने से भी कतराते रहे, इस बात से नाराज होकर ननकीराम कंवर शहर के बीच पवन टाकीज रेलवे क्रासिंग पहुंच गए और यहां रेल पटरी के बीच कुर्सी लगाकर धरने पर बैठ गए।

रेलवे संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने यहां जमकर नारेबाजी की। लाल कपड़ा लेकर आंदोलन कर रहे लोगों को समझाइश देने रेलवे के अधिकारी आरपीएफ के जवानों के साथ पहुंचे और चेयरमैन से मुलाकात कराने का आश्वासन दिया।

बता दें कि बंद किए गए यात्री ट्रेनों व कुछ नए ट्रेनों को शुरू करने की मांग को लेकर लंबे समय से रेलवे संघर्ष समिति समेत कई अन्य समितियां आंदोलनरत है। चेयरमैन के आगमन के कार्यक्रम में कहीं भी यात्री सुविधाओं का जिक्र नहीं है। केवल साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड एसईसीएल की कोयला खदान में संचालित कोयला साइड का ही दौरा निर्धारित किया गया है। इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि क्या कोरबा को केवल कोयला परिवहन के लिए ही रेलवे ने चिन्हित कर रखा है।

राज्य की अर्थव्यवस्था को बर्बाद न करे रेलवे

उधर बिलासपुर में संसदीय सचिव व तखतपुर की विधायक डॉ. रश्मि सिंह के साथ एक प्रतिनिधिमंडल ने रेलवे जोन के चेयरमेन वी के त्रिपाठी से मुलाकात कर मांग की है कि छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली सभी ट्रेनों को कोरोना काल के पूर्व की तरह बहाल की जाए और ट्रेनों का छोटे स्टेशनों पर पूर्ववत ठहराव दिया जाए।

ज्ञापन में कहा गया है कि गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्यों में कोयले की सप्लाई के लिए छत्तीसगढ़ राज्य जैसे कोयला उत्पादक राज्य की पूरी अर्थव्यवस्था बर्बाद की जा रही है। इन राज्यों को सौर और पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन बढ़ाना चाहिए या फिर आयातित कोयले का उपयोग करना चाहिए। छत्तीसगढ़ में यात्री ट्रेनों को अस्त-व्यस्त कर देने से सड़क मार्ग पर परिवहन बढ़ रहा है। उससे भी पेट्रोलियम आयात बढ़ रहा है और विदेशी मुद्रा खर्च हो रही है। कोविड काल से पहले रेलवे सीनियर सिटिजन सहित कई श्रेणियों में यात्री किराये में छूट दी जाती थी, जो समाप्त कर दी गई है। यह एक जनविरोधी कदम है। इससे नागरिकों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

स्पेशल ट्रेन के नाम पर दोगुना किराया

पैसेंजर ट्रेनों को आज भी स्पेशल के नाम पर चलाकर दो गुना किराया लिया जा रहा है। जिन स्टेशनों पर 100 साल से ट्रेनों का स्टापेज था, उन्हें कोरोना के नाम पर बंद कर अब तक शुरू नहीं किया गया है। यात्री ट्रेनों को रद्द करने से महीनों से रिजर्वेशन करा चुके यात्रियों को या तो यात्रा रद्द करनी पड़ रही है या फिर भारी खर्च कर सफर करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ का पर्यटन उद्योग भी इससे प्रभावित हुआ है।

सस्ता और सुलभ यातयात पाने का है अधिकार

ज्ञापन में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद (19 )1 नागरिकों को अधिकार देता है कि सरकार उनके लिए सस्ता और सुलभ यातायात का साधन उपलब्ध कराए। रेलवे ने कभी यात्री किराये से लाभ अर्जन को प्राथमिक उद्देश्य नहीं रखा और सामाजिक दायित्व निभाया है, पर अब यह सुलभ और सस्ता साधन नागरिकों की पहुंच से दूर हो रहा है।रेलवे बोर्ड के चेयरमेन ने प्रतिनिधि मंडल की बात सुनी और कहा कि वे ज्ञापन में उठाई गई मांगों का परीक्षण कराएंगे। बंद ट्रेनों और स्टापेज को फिर शुरू करने के बारे में उन्होंने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है।

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