आतंकवादियों के ‘सॉफ्ट टारगेट’ पर पुलिसकर्मी, इस साल में अब तक 11 पुलिसकर्मियों की हुई मौत
आतंकवादियों के ‘सॉफ्ट टारगेट’ पर पुलिसकर्मी, इस साल में अब तक 11 पुलिसकर्मियों की हुई मौत

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से मुकाबला कर रहे पुलिसकर्मी उनके ‘सॉफ्ट टारगेट’ बन रहे हैं। पुलिसकर्मियों को भीड़-भाड़ वाले बाज़ार में खरीदारी करते या अपने बच्चों को स्कूल छोड़ते हुए देखा जा सकता है। उनकी ऐसी जरूरतों ने उन्हें आतंकवादियों का ‘सॉफ्ट टारगेट’ बना दिया है।

सहायक उप-निरीक्षक मुश्ताक अहमद जम्मू-कश्मीर में पिछले करीब छह महीने में आतंकवादी हिंसा के कारण अपनी जान गंवाने वाले 49वें व्यक्ति थे। केंद्रशासित प्रदेश में सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवाद विरोधी सफल अभियान चलाए जाने के बावजूद आतंकवादियों द्वारा ‘सॉफ्ट टारगेट’ को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित लाल बाजार में गश्त के दौरान आतंकवादियों ने पुलिसकर्मियों पर गोली चला दी। हमले में अहमद (56) की मौत हो गई जबकि उनके दो सहकर्मी… कांस्टेबल फयाज अहमद और अबू बाकर… घायल हो गए।

अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर में जनवरी से अभी तक आतंकवादियों ने प्रदेश के 11 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी है। वहीं, इस साल सेना के छह कर्मियों और अर्द्धसैनिक बलों के पांच जवानों की भी मौत हुई है। जम्मू-कश्मीर में जनवरी से अभी तक आतंकवादियों ने कुल 22 सुरक्षाकर्मियों की जान ली है। पिछले साल घाटी में कुल 42 सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई थी, जिनमें से 21 जम्मू-कश्मीर पुलिस के कर्मी थे।

सुरक्षा की पहली पंक्ति का हिस्सा हैं पुलिसकर्मी

उन्होंने कहा, ‘‘पुलिसकर्मियों की तैनाती सभी जगहों पर है। वे सुरक्षा की पहली पंक्ति का हिस्सा हैं। सेना अपने शिविरों के भीतर है और सच्चाई है कि सेना अंतिम उपाय है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम हर जगह दिख जाते हैं, हम आसान निशाना हैं। हमें अपने घर जाना होता है, बाजार से सब्जी खरीदनी होती है, बच्चों को स्कूल छोड़ना होता है। हम सॉफ्ट टारगेट हैं।’’

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