नई दिल्ली/बेलग्रेड। (Monkeypox. covid 19 became world’s most dangerous virus in midst of a new disaster) दुनियाभर में कोरोना के बाद कई देशों में मंकीपॉक्स के मरीज मिल रहे हैं। भारत के केरला में भी मंकीपॉक्स के दो मरीजों की पुष्टि हो चुकी है।

(Monkeypox. covid 19 became world’s most dangerous virus in midst of a new disaster) इस बीच इंसानों में दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस मारबुर्ग के मिलने से वैज्ञानियों की चिंता और बढ़ा दी है। हालांकि कि इस वायरस के मामले अभी कुछ अफीक्री देशों में ही आए हैं। रक्तस्रावी बुखार संबंधी मारबुर्ग को दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस माना जाता है।

80 फीसदी से अधिक है मृत्यु दर

(Monkeypox. covid 19 became world’s most dangerous virus in midst of a new disaster) विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब तक सामने आए मामलों के आधार पर मारबुर्ग से होने वाली मृत्यु दर 80 फीसदी से अधिक है। घाना से पहले सितंबर 2021 में गिनी में वायरस का एक मामला सामने आया था। कॉन्गो, दक्षिण अफ्रीका व युगांडा में भी मारबुर्ग के मामले सामने आ चुके हैं।

लक्षण

वायरस से लड़ने के लिए फिलहाल कोई दवा या टीका नहीं बना है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मारबुर्ग, इबोला जितना खतरनाक है। इससे संक्रमित होने पर इंसान को तेज बुखार, डायरिया, उल्टी और सिरदर्द होने लगता है।

ऐसे हुआ नामकरण

1967 में सबसे पहले इस वायरस का पता जर्मनी के मारबुर्ग शहर में चला। उसी आधार पर इसे मारबुर्ग कहा गया। अफ्रीका से लाए गए कुछ ग्रीन बंदरों से यह वायरस शहर में फैला। कुछ ही समय में यह जर्मन शहर फ्रैंकफर्ट और बेलग्रेड पहुंच गया। साल 1988 से अब तक इस वायरस से पीड़ित अधिकांश रोगियों की मौत हो गई।

चमगादड़ों व अन्य जानवरों से पहुंचा इंसानों तक

इस संक्रमण पर लगातार अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि मारबुर्ग वायरस चमगादड़ों समेत अन्य जानवरों से इंसान में फैल सकता है। इसके बाद लार या छींक से बाकी लोगों तक पहुंच सकता है