सीनियरों की अनदेखी जूनियरों को तवज्जो से बिगड़ा बैलेंस जल्द होगा दुरुस्त

0 सवाल प्रदेश में डीजी-एडीजी और आईजी स्तर के अधिकारियों की पोस्टिंग का

विशेष संवादाता। टीआरपी रायपुर
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से ही वरिष्ठ आईपीएस की पदस्थापना को लेकर शासन की नीतियां सूबा-ऐ-सदर के मूड पर डिपेंड रही हैं। खासकर डीजी, एडीजी और आईजी के बाद बड़े जिलों के एसपी की तैनाती में रायशुमारी होती है। जोगी शासनकाल से लेकर सर्वाधिक लंबा कार्यकाल बिताये पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के वक्त में भी यही आलम था। वरिष्ठ आईपीएस की जिम्मेदारी में पसंद-नापसंद अहम है।

सत्ता परिवर्तन के बाद एएन उपाध्याय की जगह डीएम अवस्थी डीजीपी बनाये गए। फिर अवस्थी को हटाकर उनसे 3 साल जूनियर को प्रदेश पुलिस की कमान सौंप दी गई। यह बदलाव हालांकि सीएम की समीक्षा बैठक का नतीजा थीं। लेकिन अब भी राज्य में एडीजी और डीजी रैंक वालों की पोस्टिंग को लेकर सवाल बदस्तूर पूछे जा रहे हैं। इस तरह कैडर और पोस्टिंग रिव्यू सरकार करती है, लेकिन जहां डीजी या एडीजी को पदस्थ किया जाना चाहिए वहां डीआईजी रैंक वालों को बिठाया गया है। जैसे आईजी से एडीजी बनने के बाद तक एक अधिकारी को रेंज संभालना पड़ा था। महीनों बाद उन्हें एडजस्ट किया गया। एक एडीजी स्तर के अधिकारी कार्यानुभव और वरिष्ठता के बावजूद डीजी नहीं बनाए जाने का दिल में मलाल लिए रवाना हो गए। समीक्षा बैठक में चाकूबाजी, गांजा तस्करी और चिटफंड जैसे अन्य मुद्दों पर बताते हैं कि डीजीपी पर गाज गिरी थी तो अब राजधानी में ही लगातार ये अपराध हो रहे हैं, और समीक्षा बैठक में अभी विलंब है। चौंकाने वाली बात यह कि मंत्री शिव डहरिया के माता-पिता पर घातक हमले के बाद जिसे रायपुर से रायगढ़ भेज दिया गया था, उन्हें ही रायपुर-दुर्ग रेंज सौंपा गया है। वहीं एक तरफ तेज़तर्रार एडीजी, आईजी पीएचक्यू में सुबह 10 से शाम 5 की ड्यूटी बजाकर घर में टाइम स्पेंड कर रहे हैं, उन्हें बहुत जल्द समीक्षा बैठक के बाद फिल्ड में उतारने की तैयारी में है सरकार।

यहां होगा जल्दी बदलाव

ईओडब्ल्यू , गुप्तवार्ता, पुलिस हाऊसिंग, पुलिस प्रशिक्षण, गृह-जेल, प्रशासन(एडमिन)

सीएम के सब्र की फिर ले रहे परीक्षा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलिस के कामकाज की समीक्षा की थी तब उनकी नाराजगी से डीजीपी और एसपी-आईजी बदले थे। पिछली समीक्षा बैठक सा माहौल फिर बन रहा है। राजधानी में लगातार चाकूबाजी, गोलीकांड, जुआ-सट्टा और गांजा कम होने की बजाय बढ़ा है। ठगी और चिटफंड के पुराने मामले में कार्रवाई की रफ़्तार फिर धीमी पड़ गई है। अवैध कारोबार के साथ बड़े आर्थिक मामलों में रिपोर्ट लिखने में देरी से लेकर कार्रवाई तक में कोताही की शिकायतें बढ़ी हैं। ख्याल रहे कि पूर्व समीक्षा बैठक में सीएम भूपेश ने दो टूक कहा था… मुझे अब आप लोगों से कोई अपेक्षा नहीं बची है। बार-बार कहने के बावजूद पुलिसिंग में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। उन्होंने खफा होकर ये भी कहा था कि ‘मेरे सब्र की परीक्षा मत लीजिए। सुधर जाइये, नहीं तो मुझे सुधारना आता है’।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएप, पर