नई दिल्ली। देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर देश के अलग-अलग हिस्सों में तिरंगा फहराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौवीं बार लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर देश को संबोधित किया। इस दौरान आजादी के जश्न में क्या खास था, जानिए इससे जुड़ी अहम जानकारियां :

पीएम नरेंद्र मोदी हर साल स्वतंत्रता दिवस पर एक खास तरह की पगड़ी पहनते हैं. इस साल उन्होंने अपनी पगड़ी का रंग और स्टाइल बदल दिया.

आजादी के अमृत महोत्सव के खास मौके पर पीएम को राष्ट्रीय ध्वज की कई धारियों वाली सफेद पगड़ी पहने देखा गया. 

इस बार लाल किले की प्राचीर ने पीएम ने देश को 80 मिनट तक संबोधित किया.

इस बार लाल किले पर आजादी के नायकों की बड़ी-बड़ी तस्वीरें और पोस्टर लगाए गए.  जिनमें स्वतंत्रता सेनानियों की पेंटिंग सबसे खास रही.

इनमें अहिंसा का संदेश देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, आजाद हिंद फौज को खड़ा करने वाले सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह के अलावा बाल गंगाधर तिलक और राम प्रसाद बिस्मिल शामिल जैसे नायक शामिल हैं.

लाल किले की तस्वीरें आजादी के नायकों की शौर्य गाथा को बयां कर रही हैं. इन तस्वीरों में देश भर के सेनानियों को शामिल किया गया है.

स्वतंत्रता सेनानियों की इन तस्वीरों से देशवासियों को खास संदेश देने की कोशिश है. कंटेनरों समेत हर जगह तिरंगे लहराते नजर आ रहे हैं. देशवासियों से जुड़ी लाभकारी योजनाओं को भी दर्शाया गया है. 

क्या है मोदी के 5 प्रण..?

लाल किले की प्रचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए आझ हमें पांच प्रण लेने की जरूरत है. उन्होंने देश वासियों के लिए 25 साल का ब्लूप्रिंट रखा और कहा कि यह ब्लूप्रिंट तबी कामयाब होगा जब हम पांच प्रण लेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,”अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए. दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना.”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,” तीसरी प्रण शक्ति- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए… चौथा प्रण है- एकता और एकजुटता… पांचवां प्रण है- नागरिकों का कर्तव्य, इसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, राष्ट्रपति भी बाहर नहीं है.”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आने वाले 25 साल के लिए हमें उन पांच  प्रण  पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा. 2047 जब आज़ादी के 100 साल होंगे तो आज़ादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा.

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