खराब परेड जेल विभाग की

0 वर्ष 2020 से ही 26 जनवरी और 15 अगस्त में नहीं मिल रहा मौका

सुकांत राजपूत। टीआरपी एक्सक्लूसिव
इस बार भी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पुलिस परेड ग्राउंड में एनसीसी एयर,आर्मी और नेवल कैडेट्स समेत 13 प्लाटूनों ने आकर्षक मार्च पास्ट किया। हमेशा की तरह पुलिस बैंड की ड्रम बिट्स पर सभी प्लाटून्स ने मंच से गुज़रते वक्त खूब तालियां भी बटोरी। राष्ट्रीय ध्वज और मुख्य अतिथि को सलामी देने का गौरव और ख़ुशी एनसीसी कैडेट्स के चेहरों में साफ दिख रही थी। लेकिन बीते तीन साल से राष्ट्रीय पर्व में मार्चपास्ट से बाहर कर दी गई जेल की प्लाटून इस बार भी समारोह में हिस्सा नहीं ले पाई। वजह जो बताई गई वह जितनी चौंकाने वाली थी उतनी ही विभाग के लिए शर्मिंदा होने वाली भी।

बताते हैं कि वर्ष 2020 से ही रायपुर सेन्ट्रल जेल को परेड की ट्रूप में शामिल नहीं किया जा रहा है, क्योंकि 2020 से पहले हुई 26 जनवरी और फिर 15 अगस्त की परेड में सबसे ख़राब मार्चपास्ट जेल विभाग का नोटिस किया गया था। पूर्व में भी परेड के अभ्यास के दौरान परेड के अधिकारीयों ने हिदायत दी थी, पर सुधार नहीं हुआ तो जेल विभाग को तभी से हिस्सा नहीं लेने दिया जा रहा है। हास्यास्पद यह कि खुद की खामियां दूर करने की बजाय जेल विभाग भी फील गुड कर रहा है। बता दें कि जेल विभाग परेड में उतरने वाले स्टाफ को अलाउंस भी देता है।

इस बार इनके कमांड में उतरी 13 प्लाटून

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पुलिस परेड ग्राउंड पर गौरव राम प्रवेश के नेतृत्व में 13 प्लाटून ने आकर्षक मार्च पास्ट किया। परेड के टू आईसी मनोज कुमार मडावी थे। सीमा सुरक्षा बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल, सशस्त्र सीमा बल, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की पुरुष एवं महिला प्लाटून, छत्तीसगढ़ पुलिस, नगर सेना की पुरूष एवं महिला प्लाटून और एन.सी.सी.के बालक एवं बालिका प्लाटून के साथ पुलिस बैंड प्लाटून भी मार्च पास्ट में शामिल थे।

महकमे का सुरक्षा और निशाना भी गया-बीता

अन्य वर्दी वाली नौकरियों से अगर तुलना करें तो रायपुर सेन्ट्रल जेल का वर्दी स्टाफ सबसे ज़्यादा फील गुड कर रहा है। जेल की सुरक्षा में एसएफ की 2 कंपनिया दिन-रात तैनात रहती हैं, जबकि जेल स्टाफ के पास हथियार भी है और पर्याप्त तैनाती भी। फिर भी सिर्फ जेल के अंदर और कैदियों तक ही महदूद होकर रह गया। जेल स्टाफ की मौजूदगी में आत्महत्या, हत्या और मारपीट हो जाती है। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि क्या जेल अफसर-प्रहरी सामान अंदर-बाहर ले जाने तक के लिए ही हैं?

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