भिलाई। छत्तीसगढ़ राज्य और सेल का पहला स्किन बैंक भिलाई शहर में खुल गया है। आजादी के अमृत महोत्सव पर सेक्टर-9 स्थित पं. जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र में बीएसपी के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दास गुप्ता ने इसका शुभारंभ किया। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ में कैडेवरिक टिशू ट्रांसप्लांट का भी जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र पहला संस्थान बन गया है।

बर्न यूनिट के एडिशनल सीएमओ डॉ. उदय कुमार ने बताया कि आने वाले समय में बीएसपी का स्किन बैंक गंभीर रूप से जले मरीजों के लिए वरदान साबित होगा। स्किन बैंक से गंभीर व अत्यधिक जले मरीजों को नया जीवन दान मिलेगा। यहां मरीज की या उनके रिश्तेदारों की सहमति के बाद ही मरीज के पैर या पीठ की चमड़ी की ऊपरी परत इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम के द्वारा निकाली जाएगी।

पांच सालों तक स्किन को कर सकते हैं स्टोर

डॉ. उदय कुमार ने बताया कि डोनेट की गई स्किन को 4 डिग्री सेंटिग्रेड का तापमान मेंटेन करके विशेष प्रकार के फ्रीजर में रखा जाता है। ऐसा करने से स्किन 5 साल तक सुरक्षित रह सकती है। डोनेट की गई स्किन किसकी है इसकी पहचान करने के लिए स्किन को नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर का लेबल लगाकर फ्रीजर में 85 प्रतिशत ग्लिसरॉल के साथ स्टोर किया जाता है।

गंभीर रूप से जले मरीजों की बचाई जा सकेगी जान

स्किन बैंक के मेडिकल हेड डॉ. अनिरुद्ध मेने ने बताया कि 80 प्रतिशत या उससे अधिक जले मरीजों में काफी कम स्किन सही बचती है। ऐसे में स्किन बैंक से स्किन लगाकर उनकी जान बचाई जा सकेगी।

डॉ. मेने ने बताया कि स्किन के ना होने से अधिक जले मरीजों के शरीर से प्रोटीन और मिनरल्स निकलने लगते हैं। इससे बाहर का इन्फेक्शन शरीर के अंदर जाने लगता है। ऐसा होने से मरीज कमजोर होने लगता है। उसके घाव में संक्रमण फैलने से सेप्टीसीमिया या जहर फैलने संभावना बढ़ जाती है। ऐसा होने से मरीज की मौत भी हो जाती है।