प्रदेश में अब अदिवासियों की जमीन से पेंड़ काटने पर होगी 3 साल की सजा और भरना होगा 1 लाख का जुर्माना

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब आदिवासियों की जमीन पर लगे हुए पेड़ काटने पर 3 साल की सजा के साथ एक लाख रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उईके ने छत्तीसगढ़ आदिम जनजाति संरक्षण अधिनियम 1999 के संशोधित विधेयक पर अपनी मोहर लगा दी है।

आदिम जनजाति का संरक्षण अधिनियम 1999 की धारा 9 में किए बदलाव के अनुसार आदिवासियों की जमीन के वृक्षों को अगर कोई काटता है या नुकसान पहुंचता है तो वो अपराध के श्रेणी में गिना जाएगा। साथ ही इसके लिए सजा का भी प्रावधान होगा।

बता दें कि राज्यपाल अनुसुइया उईके ने छत्तीसगढ़ आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) (संशोधन) विधेयक 2022 पर हस्ताक्षर कर दिया है। मूल अधिनियम की पांच धाराओं में संशोधन करने के साथ इसकी एक धारा को विलोपित किया गया है। विधानसभा में राज्य सरकार द्वारा इस विधेयक को सर्व सहमति से पास करवाया गया था।

प्रमुख संशोधन

  • अधिनियम की धारा 4 के अनुसार आदिम जनजाति के जमीन मालिक को पेड़ काटने की अनुमति के लिए अब कलेक्टर की जगह अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को आवेदन देना होगा। “अनुविभागीय अधिकारी” आवेदन की जांच कराएगा। जिसके बाद ही राजस्व विभाग और वन विभाग के संयुक्त जांच प्रतिवेदन पर विचार कर अनुमति के संबध में कोई निर्णय लिया जाएगा। वहीं मूल अधिनियम की धारा 5 को विलोपित किया गया है।
  • धारा 6 में संशोधन किया गया है कि जमीन मालिक को पैसे का भुगतान अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाएगा। धारा 8 में अपील, पुनरीक्षण और पुनर्विलोकन के उपबंध जैसे कि वे संहिता में बताया गया है।
  • धारा 9 के संशोधन के अनुसार कोई व्यक्ति जो आदिम जनजातियों के जमीन के वृक्षों को काटता है, नुकसान पहुंचाता है, काट-छांट करता है या किसी भाग को हटाता है तो आरोप सिद्ध होने पर तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना देना होगा।बता दें इससे पूर्व जुर्माना रकम केवल दस हजार रुपये निर्धारित थी।

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