फर्जीवाड़ा

0 TRP NEWS 0 शमी इमाम

रायपुर। केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के छात्रों को मेडिकल में प्रवेश के लिए कोटा तो तय किया है, मगर इसका लाभ पात्र लोगों को मिल रहा है, इस पर लोग संदेह उठा रहे हैं। दरअसल ऐसे अनेक छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने में सफल हो गए हैं जो “अमीर” परिवारों से आते हैं। ऐसे लोगों ने अपने परिवार की वार्षिक आय कम बताकर EWS कोटे का प्रमाण पत्र हासिल कर लिया है। बीते 3 सालों से यह फर्जीवाड़ा जारी है।

राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में EWS का कोटा तय है, और इसके तहत प्रवेश लेने वाले छात्र अपने सहपाठियों के बीच अक्सर चर्चा का केंद्र बिंदु होते हैं। चर्चा का विषय होता है कि इसने सक्षम परिवार से होते हुए भी कैसे खुद को “गरीब” (EWS) साबित किया।

इतने वर्षों से मिल रहा है EWS का लाभ

मेडिकल की काउंसिलिंग में सन 2019 से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए EWS कोटे के तहत 10 फीसदी सीटों पर प्रवेश दिया जा रहा है। राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ही इस कोटे के तहत प्रवेश मिलता है। इस आरक्षण का फायदा तभी मिलेगा जब उम्मीदवारों के परिवार की सालाना आय 8 लाख या उससे कम होगी। इस प्रमाण पत्र को बनवाने में ही फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।

आय संबंधी शपथ पत्र ही पर्याप्त..!

EWS और आय, निवास, जाति संबंधी प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय में बनाये जाते हैं। सरकार ने EWS प्रमाण पत्र के लिए तहसीलदार को अधिकृत किया है। रायपुर तहसीलदार ने TRP न्यूज़ से चर्चा में बताया कि अमूमन आवेदक के निवास प्रमाण पत्र और उसके परिवार का आय प्रमाण पत्र सहित पटवारी का प्रतिवेदन जमा करने के बाद अगर प्रावधानों के तहत आय और संपत्ति का विवरण हुआ तो EWS का प्रमाण पात्र दे दिया जाता है। वहीं पिछले कुछ सालों के इंकम टैक्स रिटर्न के आधार पर भी यह प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है। यह पूछा गया कि क्या पटवारी आवेदक के निवास पर शपथ पत्र की सत्यता का पता लगाता है, तब तहसीलदार ने कहा कि घर-घर जाकर पता करना संभव नहीं होता है।

केवल वेतन की ही आय दिखा रहे

ईडब्लूएस कोटे के तहत सर्टिफिकेट बनवाने वाले कई लोग इंकम टैक्स रिटर्न में अपनी आय छिपा रहे हैं। इतना ही नहीं फॉर्म 16 में वेतन के साथ अन्य आय भी दर्ज होती है, लेकिन अधिकतर लोग इसमें भी केवल वेतन की ही आय दिखा रहे हैं। अन्य संपत्तियों और परिवार में शामिल अन्य लोगों की आय को लोग छिपा जा रहे हैं।

EWS की ये है पात्रता

EWS परिवार में वो व्यक्ति शामिल है, जो इस आरक्षण का लाभ लेना चाहता है, उसके माता-पिता, 18 साल से कम उम्र के उसके भाई-बहन, उसकी पत्नी और उसके बच्चे जो 18 साल से कम उम्र के हों।

साथ ही कुछ अपवाद भी जोड़े गए हैं। अगर परिवार के पास

• पाँच एकड़ की कृषि ज़मीन या उससे ज़्यादा हो
• 1000 स्क्वायर फीट या उससे बड़ा फ़्लैट हो
• 100 स्क्वायर यार्ड या उससे बड़ा प्लॉट अधिसूचित नगर पालिका इलाके में हो
• 200 स्क्वायर यार्ड या उससे बड़ा प्लॉट ग़ैर अधिसूचित नगरपालिका इलाक़े में हो,

तो वह व्यक्ति EWS कोटे के तहत आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता।

ऐसे लोग उठा रहे हैं कोटे का लाभ

MBBS की पढ़ाई करने वाले अनेक छात्रों ने TRP न्यूज़ को बताया कि रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव और अंबिकापुर जिलों में संचालित सरकारी मेडिकल कॉलेजों में EWS कोटे के तहत भर्ती अधिकांश छात्र सक्षम परिवारों से आते हैं। आपस में चर्चा के दौरान खुलासा हुआ कि अनेक छात्रों के पिता ठेकेदार हैं, अथवा उनका अच्छा-खासा कारोबार है। वहीं एक के पिता तो राइस मिल चलाते हैं, एक छात्र तो राज-घराने से आता है। ऐसे लोग मूलतः गरीबों का हक़ मार रहे हैं।

शिकायत पर केवल होता है सत्यापन

पूर्व के वर्षों में छात्र संगठनों के माध्यम से जब मेडिकल में फर्जी गरीबों द्वारा प्रवेश लिए जाने की शिकायत हुई तो सभी मेडिकल कॉलेजों में डीन को पत्र लिखकर EWS कोटे के प्रमाण पत्रों को संबंधित तहसीलदारों के पास जांच के लिए भेजने का निर्देश दिया गया। इसके बाद तहसीलों में केवल प्रमाण पत्र का यह सत्यापन किया गया कि वह उनके कार्यालय में बना है या नहीं। इस तरह केवल औपचारिकता निभाई गई, जिसका फायदा फर्जी गरीबों को मिल रहा है।

कठोर कार्रवाई का है प्रावधान

छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा EWS का प्रमाण पत्र बनाने के लिए जो दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं, उसके बिंदू क्रमांक 7 में स्पष्ट उल्लेख है कि “आवेदक द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों / दस्तावेजों की समुचित जांच व परीक्षण अधिकारी द्वारा की जाये और संतुष्ट होने पर ही प्रमाण पत्र जारी किया जाये। मिथ्या साक्ष्य/दस्तावेज के आधार पर प्रमाण पात्र जारी होने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ उसी प्रकार की कार्यवाही की जाएगी जैसा कि मिथ्या जाति प्रमाण पत्र जारी होने पर सक्षम अधिकारी के विरुद्ध की जाती है।” ऐसे में तय है कि प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी अपनी भूमिका का निर्वहन सही तरीके से नहीं कर रहे हैं।

कोई नहीं करता लिखित शिकायत…

राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के डीन डॉ. विष्णुदत्त ने TRP न्यूज़ से चर्चा में बताया कि सन 2019 में EWS कोटे का नियम लागू होने के बाद से ही लोग आपस की बातचीत में शिकायत तो करते हैं मगर अब तक किसी ने भी किसी छात्र के अपात्र EWS होने की लिखित में शिकायत नहीं की है। इसलिए कोई पुख्ता जांच नहीं हो सकी है।

ठोस जानकारी के साथ हो शिकायत : स्वास्थ्य मंत्री

स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने EWS कोटे को लेकर चर्चा करते हुए TRP संवाददाता से कहा कि अगर कोई ठोस जानकारी के साथ लिखित में शिकायत करे तभी EWS प्रमाण पत्र वाले छात्र की तत्काल जांच की जाएगी, अन्यथा इस कोटे का लाभ उठाने वाले सभी छात्रों की जांच करना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए लोगों को आगे आना होगा।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएप, पर