इस्तीफे पर फेडरेशन अध्यक्ष कोमल वर्मा बोले कोरी बकवास, नहीं हुए हम नाकाम !
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0 पहली बार अफसर बाबू और चतुर्थ वर्ग के 105 संगठन की एकता अटूट रही, आपसी सहमति के बाद ली गई हड़ताल वापिस

विशेष संवादाता, रायपुर
प्रदेश के इतिहास की सबसे ऐतिहासिक अफसर-कर्मचारी हड़ताल का पटाक्षेप तो हो गया है, लेकिन सीएम भूपेश बघेल के दो बार ठंडे शब्दों में की गई अपील के बाद आंदोलन समाप्ति से फेडरेशन में फूट और अध्यक्ष पद से इस्तीफे की बात पर अध्यक्ष कमल वर्मा ने बेबाक बयान दिया है। टीआरपी से फोन पर चर्चा के दौरान कर्मचारी संगठनों की नाराज़गी और खुद के इस्तीफे को कपोलकल्पित बताया। उन्होंने कहा फेडरेशन जिस उद्देश्य के लिए हड़ताल पर गया था उसमे हम सब कामयाब रहे हैं, नाकामी जैसी कोई बात ही नहीं। रही बात मेरे अकेले के निर्णय से नहीं बलकि सभी जिम्मेदार पदाधिकारियों की सहमति से फैसला लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में पहली बार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ राजपत्रित अधिकारियों के 105 संगठन 12 दिन तक हड़ताल पर रहे। पहली बार राजस्व के साथ-साथ न्यायालयों में भी कामकाज प्रभावित हुआ। हड़ताल के बारहवें दिन राज्य सरकार के प्रवक्ता कृषि मंत्री रविंद्र चौबे की मध्यस्थता में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन अपनी मांग के मुताबिक ही शासन के मंत्री और मुख्यमंत्री के आश्वासन पर आंदोलन वापिस लिया है
उन्होंने ये भी कहा कि पहली बार 105 संगठन एकजुट होकर 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के आधार पर गृहभाड़ा भत्ते के लिए 12 दिनों तक हड़ताल पर रहे। कर्मचारियों की एकता का ही प्रभाव है कि सभी सरकारी दफ्तरों में कामकाज ठप रहा। लोगों की परेशानी को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों से काम पर लौट आने की अपील की। साथ ही, मुख्य सचिव के साथ चर्चा करने की बात कही। इस दौरान फेडरेशन के सभी संगठन के प्रांताध्यक्ष और संयोजकों के साथ बैठक के बाद जो शर्तें तय की गई थीं, उन्हें मुख्य सचिव को बताया गया। इनमें 6 प्रतिशत महंगाई भत्ते का एरियर्स जीपीएफ खाते में जमा करने, दिवाली तक 3 प्रतिशत डीए का ऐलान और 2016 से लंबित गृह भाड़ा भत्ते के लिए कमेटी बनाने की मांगें शामिल है। यह ऐसी मांग है, जो 2016 के बाद से गायब थी।

रही बात कर्मचारियों की नाराजगी की तो जेएन पांडेय स्कूल में जब सभी प्रांतीय अध्यक्षों, संभागीय संयोजकों और जिला अध्यक्ष/संयोजकों की बैठक चल रही थी, तब मैंने अपनी ओर से यह पक्ष रखा था कि यदि संगठन को मेरे नेतृत्व में कोई कमी नजर आती है तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। सभी संगठन मिलकर नया नेतृत्व चुन सकते हैं। उस समय सभी संगठन के सदस्यों ने कहा था कि वे मेरे नेतृत्व से संतुष्ट हैं। मैंने व्यक्तिगत रूप से कोई भी निर्णय लेने के बजाय कोर कमेटी के फैसले को महत्वपूर्ण माना। ऐसे में मेरे इस्तीफा देने और संगठनों से मार्मिक या भावुक अपील करने जैसी अफवाह कोरी बकवास है।