हाईकोर्ट

बिलासपुर। सामाजिक बहिष्कार के पीड़ितों को न्याय देने में राज्य सरकार की कथित विफलता और पुलिस के पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 6 जिलों के कलेक्टर-एसपी, मुख्य सचिव, गृह सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

परिवार इस तरह हो रहे हैं प्रताड़ित

इस मामले में याचिकाकर्ता गुरु घासीदास सेवादार संगठन व कानूनी मार्गदर्शक केंद्र की ओर से दायर याचिका में प्रदेश के चुनिंदा 15 मामलों का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि अंतर्जातीय विवाह करने वाले जोड़ों व उनके परिजनों को उनके धार्मिक अधिकार, मान्यता तथा उपासना के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। सामाजिक ठेकेदारों की ओर से चुनावों में मतदान के लिए फरमान जारी किए जाते हैं, जिनका पालन नहीं करने पर शादी, मृत्युभोज पर प्रतिबंध लगाते हैं, सामाजिक बहिष्कार करते हैं तथा मारपीट कर धमकाते हैं।

पुलिस नहीं करती समुचित कार्रवाई

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस व प्रशासन से शिकायत करने पर समुचित कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती। पीड़ितों को राहत नहीं दी जाती और दोषियों को सजा भी नहीं मिलती।

इन जिलों के कलेक्टरों को नोटिस

चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी व जस्टिस दीपक तिवारी की बेंच में मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रजनी सोरेन ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा। इस पर मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जांजगीर-चांपा, बलौदाबाजार, कांकेर, रायगढ़, रायपुर व धमतरी के कलेक्टर व एसपी को नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा मालखरौदा, गिधौरी, बलौदाबाजार, जगदलपुर, सारंगढ़ (रायगढ़), बिलाईगढ़ (बलौदाबाजार), भाटापारा, पलारी, विधानसभा पुलिस, भटगांव, सिमगा, नवागढ़ (जांजगीर-चांपा) तथा मगरलोड (धमतरी) के थाना प्रभारियों को भी नोटिस जारी कर सभी को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

गाइडलाइन जारी करने की मांग

याचिका में मांग की गई है कि जिन मामलों को हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है उसमें आपराधिक कानूनी कार्रवाई के लिए प्रशासन कदम उठाए और इस संबंध में न्यायालय गाइडलाइन जारी करे। सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध कानून बनाने के लिए कमेटी बने, पीड़ितों की सुरक्षा तथा मुआवजे के लिए उचित कार्रवाई की जाए। विधिक सेवा प्राधिकरण संदर्भित कानूनी अधिकारों का प्रचार-प्रसार करे तथा ऐसे प्रकरणों पर कानून सम्मत कार्रवाई के लिए पुलिस को प्रशिक्षण दिया जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता लखन सुबोध व संजय अनंत के साथ एक एडवोकेट पैनल रजनी सोरेन के साथ उपस्थित हुए, जिनमें कांता नंदी, दीपाली गुप्ता, दिवेश कुमार, प्रीतम सिंह, अमरनाथ पांडे तथा किशोर नारायण शामिल थे।

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