सुप्रीम कोर्ट

रायपुर। युद्ध के चलते यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को भारत के मेडिकल संस्थानों में प्रवेश नहीं दिया जा सकेगा। यह बात केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जमा शपथ पत्र में कही है। सरकार से अब तक उम्मीद लगाए छत्तीसगढ़ और भारत के यूक्रेन से लौटे छात्रों और उनके पालकों के लिए यह बहुत ही अफसोसजनक खबर है।

किसी और देश में कर सकते हैं पढ़ाई

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान आज एक शपथ पत्र पेश किया है। इसमें सरकार ने कहा है कि इन बच्चों को देश के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पूरा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हां, यदि ये छात्र किसी और देश में पढ़ाई कंप्लीट करना चाहते हैं तो भारत सरकार पूरी मदद करेगी।

वी एन कराजिन खारखीव नेशनल मेडिकल युनिवर्सिटी, यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे छात्रों की फाइल चित्र

छत्तीसगढ़ के इतने छात्र यूक्रेन से लौटे

रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के दौरान वहां पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीय बच्चे जान बचाकर घरों को लौटे थे। इनमें छत्तीसगढ़ के भी करीब 207 से अधिक छात्र-छात्राएं हैं। बताया जा रहा है कि युद्ध कुछ शांत होने के बाद इन छात्रों ने वापस जाना चाहा तो यूक्रेन के निजी कॉलेजों ने युद्ध में नुकसान को देखते हुए पढ़ाई नहीं होने की घोषणा की है।

छात्रों ने दायर की है याचिका

आगे की पढाई नहीं होने से परेशान ये बच्चे केंद्र और अपने-अपने राज्य सरकारों से निजी या शासकीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देने की मांग को लेकर कई महीने से सीएम, स्वास्थ्य मंत्रियों के चक्कर काट रहे हैं। इन्हीं में से कुछ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई के दौरान केंद्र ने यह शपथपत्र दाखिल किया है।

सरकार ने सुझाया है ये विकल्प

सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है। वहीं ऐसी छूट देने से भारत में चिकित्सा शिक्षा के मानकों में बाधा आएगी। सरकार ने इन छात्रों के लिए विकल्प के तौर पर कहा है कि ये छात्र यूक्रेन में अपने कॉलेजों से अप्रुवल लेकर अन्य देशों में जाकर अपनी डिग्री पूरी कर सकते हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।

15 देशों में कर सकते हैं पढ़ाई

बता दें कि एनएमसी ने यूक्रेन के 3-4 विवि और करीब 15 देशों के विवि में मोबिलिटी प्लान दिया है, लेकिन पालकों का कहना है कि यह फायदेमंद नहीं, क्योंकि 6 माह से एक साल के लिए ही यह सुविधा दी जानी है और डिग्री तो यूक्रेन के विवि से ही मिलेगी। इनकी मांग है कि सभी 14 हजार बच्चों, जो एक से पांच वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं, को भी एडजेस्ट किया जाए।

अभी ऑनलाइन चल रही है पढ़ाई

यूक्रेन के खारखीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने TRP न्यूज़ को बताया कि वह चौथे वर्ष की छात्रा है और उनकी यूनिवर्सिटी फ़िलहाल ऑनलाइन पढ़ाई करवा रही है। वहां एक सितम्बर से नया सेशन प्रारम्भ होता है और इस दिन से उनकी पढ़ाई शुरू हो चुकी है। मेडिकल के प्रोफेसर उन्हें निर्धारित समय में पढ़ाते हैं और मौके पर सवाल-जवाब भी होता है। इसके अलावा उन्होंने एक सेमेस्टर की ऑनलाइन परीक्षा भी दी है। छात्रा ने बताया कि यूक्रेन में युद्ध के थम जाने के बाद भी हालात सुधरने में साल भर से ऊपर का समय लग जायेगा।

वी एन कराजिन खारखीव नेशनल मेडिकल युनिवर्सिटी, यूक्रेन

पढाई के लिए दिए गए हैं ये विकल्प

छात्रा ने बताया कि यूक्रेन की साडी मेडिकल यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है। उनकी यूनिवर्सिटी ने उन्हें यूक्रेन के वेस्टर्न इलाके में आकर ऑफलाइन पढाई और ऑफलाइन परीक्षा का विकल्प दिया है। बताया जा रहा है की यूक्रेन के इस इलाके में शांति है। इसके अलावा नाइजीरिया, मोरक्को, टर्की और जॉर्जिया के संस्थानों में भी जाकर वे मेडिकल की पढाई जारी रख सकते हैं। मगर वहां की फीस अगर यूक्रेन से ज्यादा है, तो वह भी उन्हें वहन करना पड़ेगा।

बहरहाल यूक्रेन से पढ़ाई बीच में छोड़कर लौटे मेडिकल छात्र अपनी आगे की पढ़ाई को लेकर सबकी सहमति से ही कोई फैसला करना चाहते हैं, वे एक दूसरे के संपर्क में हैं और अभी इस विचार में लगे हुए हैं कि आगे क्या किया जाये। क्योंकि केंद्र सरकार ने अपना फैसला सुना दिया है और भारत में ही आगे की पढाई पूरी करने का मौका मिलने की उनकी उम्मीद ख़त्म हो गई है।

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