चिटफंड घोटाले

टीआरपी डेस्क। बीजेपी और कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए एक दूसरे पर सीबीआई समेत दूसरी केंद्रीय जांच एजेंसियों का ग़लत ढंग से इस्तेमाल करने का आरोप लगाए। पिछले 18 सालों में बीजेपी और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधनों के सत्ता में रहते हुए सीबीआई ने लगभग 200 विपक्षी नेताओं पर मामले दर्ज किए हैं।

लेकिन सवाल उठता है कि किस गठबंधन के दौरान कितने विपक्षी नेता सीबीआई के घेरे में आए। एक रिपोर्ट के अनुसार यूपीए के दौर में सीबीआई के घेरे में आए नेताओं में जहाँ लगभग 60 फीसद विपक्ष के थे, वहीं एनडीए के दौर में ये आँकड़ा बढ़कर 95 फीसद हो गया है।

कांग्रेस के नेतृत्व में जांच के दायरे में आए 72 नेता

कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार के कर्यकाल के दौरान 10 वर्षों (2004-2014) के दौरान, कम से कम 72 नेता सीबीआई जांच के दायरे में आए हैं और उनमें से 43 (60 प्रतिशत) नेता विपक्ष से थे।

भाजपा के नेतृत्व में जांच के दायरे में आए 124 नेता

भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए-द्वितीय के आठ वर्षों के कार्यकाल में, विपक्ष की सक्रियता घटने के बावजूद कम से कम 124 प्रमुख नेताओं को सीबीआई जांच का सामना करना पड़ा है और उनमें से 118 विपक्ष से हैं – यानी 95 प्रतिशत।

यूपीए के दौर में हुए कई घोटालों के साथ, 2-जी स्पेक्ट्रम मामले से लेकर राष्ट्रमंडल खेलों और कोयला ब्लॉक आवंटन मामलों में सीबीआई ने 2004 से 2014 तक जिन 72 प्रमुख नेताओं की जांच की है उनमें से 29 कांग्रेस या उसके सहयोगियों जैसे डीएमके आदि से थे।

ये नेता रहे टारगेट में

यूपीए के दौरान सीबीआई द्वारा जांच के तहत 43 विपक्षी नेताओं में से सबसे ज्यादा बीजेपी के नेता थे जिसमें उसके 12 नेताओं से पूछताछ की गई, छापे मारे गए या गिरफ़्तार किए गए। एनडीए – 2 के दौरान सीबीआई जांच के आंकड़ों का झुकाव गैर-एनडीए दलों के विरोधी दलों की ओर अधिक है जिनमें सबसे ज़्यादा नेता टीएमसी, कांग्रेस, राजद और बीजेडी से आते हैं। भाजपा के केवल छह नेता सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं। इस पड़ताल में एक अहम बात यह भी है कि सत्ताधारी दल के ख़िलाफ़ जाते ही किसी नेता के ख़िलाफ़ जांच शुरू होती और समर्थन में आते ही बंद होती देखी गयी है।

  • इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल थे, जो गुजरात के तत्कालीन मंत्री थे, जिन्हें एजेंसी ने सोहराबुद्दीन शेख की कथित मुठभेड़ में हत्या के सिलसिले में गिरफ़्तार किया था।
  • जांच के दायरे में एनडीए के अन्य प्रमुख नेताओं में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा बेल्लारी के खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस भी रहे।
  • इसी के साथ ही सीबीआई ने प्रमोद महाजन की मृत्यु के बाद भी उनके ख़िलाफ़ अपनी जांच जारी रखी, जब उन्होंने 2012 में 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन जांच से संबंधित चार्जशीट में उनका नाम लिया।
  • साल 2013 में डीएमके के यूपीए छोड़ने के बाद सीबीआई ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के घर पर लग़्जरी कारों के आयात से जुड़े एक मामले में छापा मारा।
  • उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के ख़िलाफ़ आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी यही देखने को मिला। साल 2007 में यादव और उनके परिवार के खिलाफ एक प्रारंभिक जांच (पीई) की गई।
  • 2013 में जब अमेरिका के परमाणु समझौते से वामपंथियों के हटने के बाद सपा ने गठबंधन को जीवित रहने में मदद की तो मुलायम सिंह यादव के ख़िलाफ़ आय से अधिक संपत्ति का मामला 2013 में बंद कर दिया गया।
  • सीबीआई ने राजद नेताओं से जुड़े कई परिसरों पर छापा मारा जिसमें एक कथित रूप से बिहार के वर्तमान डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से जुड़ा हुआ था।