केंद्र के फैसले से 14 सियासी पार्टियों को भूमि बकाया राशि में भारी छूट
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0 सबसे ज़्यादा बीजेपी 73 करोड़ तो कांग्रेस को 27 लाख रुपये और तृणमूल, जनता दल, राजद भी फायदे में, आवास मंत्रालय के प्रस्ताव को केबिनेट में मंजूरी

टीआरपी डेस्क
राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनितिक दलों को मोदी सरकार के एक फैसले से करोड़ों रूपये का फायदा होने वाला है। दिल्ली में पार्टी कार्यालय के लिए आवंटित भूमि की श्रेणी में सियासी दलों के लिए फायदेमंद बदलाव किये जाने की खबर है। आवंटित भूमि की श्रेणी को बदलने के आवास मंत्रालय के प्रस्ताव को सेन्ट्रल केबिनेट ने अपनी स्वीकृति दे दी है। इससे सभी 14 सियासी दलों जिनपर भूमि राशि का बकाया है उसमे काफी कमी हो जाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 सितंबर को ही राजनीतिक दलों के लिए आवंटन की श्रेणी को ‘संस्थागत’ से ‘केंद्र सरकार से सरकारी ‘ में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, लेकिन फ़िलहाल इसकी औपचारिक घोषणा बाकि है।

जानकारी के मुताबिक बीजेपी का बकाया 91 करोड़ रुपये से घटकर नए नियम लागु होते ही सिर्फ 17.78 करोड़ रुपये हो जायेगा। इसी तरह 14 राजनीतिक दलों, जिनमें सत्तारूढ़ भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सहित, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), जनता दल (यूनाइटेड), और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसी पार्टियों को भी मोदी केबिनेट के फैसले से लाखों रूपये का लाभ होगा। भूमि और विकास कार्यालय का लगभग 150 करोड़ रुपये बकाया है। यह बकाया एलएंडडीओ द्वारा दी गयी उस भूमि के लिए है जो इन पार्टियों को साल 2000 और 2017 के बीच उनके पार्टी कार्यालयों के लिए आवंटित की गई थी। अधिकृत सूत्रों की मानें तो कैबिनेट की मंजूरी से भविष्य में राजनीतिक दलों को आवंटित सभी जमीनें गवर्नमेंट-टू- गवर्नमेंट श्रेणी के तहत ही होगी।

NEW CONGRESS KARYALAYA

बताते हैं कि राजनीतिक दलों को संसद में उनकी सदस्य संख्या के बल के आधार पर दिल्ली में जमीन आवंटित की जाती रही है। वर्ष 2006 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा सभी पार्टियों के लिए बनाये गए आवंटन नियमों के अनुसार, संसद (लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर) में 101 से 200 सदस्यों वाली पार्टी दो एकड़ भूमि की हकदार मणि जाती है। वहीँ 200 से अधिक सदस्य होने पर किसी भी पार्टी को चार एकड़ जमीन की अनुमति मिलती है। भूमि आवंटन श्रेणी में किये गए इस नवीनतम परिवर्तन ने 14 राजनीतिक दलों में से प्रत्येक को फायदा पहुंचाया है क्योंकि उनकी भूमि के एवज में बकाया राशि कई गुना कम हो गई है।

उदाहरण के लिए भाजपा को संस्थागत श्रेणी के तहत दीन दयाल उपाध्याय मार्ग में 4 एकड़ से थोड़ा अधिक रकबे (और 100 के फ्लोर टू एरिया रेश्यो के साथ) वाले तीन भूखंड (जमीन के टुकड़े) आवंटित किए गए थे। पार्टी के ऊपर अभी तक की कुल बकाया राशि लगभग 91 करोड़ रुपये थी, जो उन 14 राजनीतिक दलों में सबसे अधिक है, जिन्हें एलएंडडीओ ने भूमि आवंटित किया है। आवंटन श्रेणी को ‘गवर्नमेंट-टू- गवर्नमेंट’ में बदलने के बाद, पार्टी के ऊपर भूमि बकाया घटकर 17.78 करोड़ रुपये रह गया है।

इन दलों का इतना बच गया पैसा

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम का बकाया 4.5 करोड़ रुपये से घटकर 52 लाख रुपये हो गया है, जबकि टीएमसी का बकाया 2.5 करोड़ रुपये से घटकर 25 लाख रुपये हो गया है। कांग्रेस पार्टी के मामले में, कोटला रोड स्थित 2 एकड़ के एक भूखंड के लिए पार्टी के ऊपर संचित बकाया लगभग 13 करोड़ रुपये था। लेकिन भूमि आवंटन श्रेणी में बदलाव का अर्थ यह है कि अब सरकार का कांग्रेस पार्टी के ऊपर कोई बकाया शेष नहीं है। सूत्रों के अनुसार, इस बदलाव के बाद, एलएंडडीओ को कांग्रेस पार्टी को 27 लाख रुपये के अंतर का भुगतान करना होगा। एलएंडडीओ समाजवादी पार्टी को लगभग 10 करोड़ रुपये, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम को 2.6 करोड़ रुपये, तेलंगाना राष्ट्र समिति को 6.5 करोड़ रुपये, राजद को 6 लाख रुपये और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) को 15 लाख रुपये लौटाएगा। जल्द ही उन पार्टियों को डिमांड नोटिस भेजा जायेगा जिन पर पैसा बकाया है, और साथ ही विभाग उन पार्टियों को पैसा वापस करना भी शुरू कर देगा, जिन्हें सरकार की तरफ से भुगतान किया जाना है।

भुगतान नहीं कर रहा था कोई तो बदलना पड़ा नियम

सूत्रों के मुताबिक संशोधित संस्थागत आवंटन दर भी पूर्ण बाजार मूल्य की तुलना में काफी सस्ता था, फिर भी राजनीतिक दल संचित बकाये को चुकाने के लिए आगे नहीं आ रहे थे। इसके बाद ही आवास मंत्रालय ने फैसला किया कि राजनीतिक दलों को केंद्र सरकार के समकक्ष माना जाना चाहिए और उन्हें गवर्नमेंट-टू- गवर्नमेंट वाली दरों पर जमीन आवंटित की जानी चाहिए। संस्थागत श्रेणियों के तहत आवंटन के लिए भूमि की दरें गवर्नमेंट-टू- गवर्नमेंट श्रेणी के तहत आवंटन से लगभग 10 गुना अधिक हैं। उदाहरण के लिए, साल 2000 में संस्थागत श्रेणी के तहत पार्टियों को जिस अनंतिम दर पर जमीन आवंटित की गई थी, वह 88 लाख रुपये प्रति एकड़ थी। साल 2017 में भूमि दरों को संशोधित किए जाने के बाद, साल 2007 में संस्थागत आवंटन दर पूर्वव्यापी रूप से 698 लाख रुपये प्रति एकड़ हो गई, जबकि गवर्नमेंट-टू- गवर्नमेंट श्रेणी के तहत यह मात्र 74 लाख रुपये प्रति एकड़ थी। करीब 17 साल तक नौकरशाही से जुड़े कारणों की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। नतीजतन, जिन 14 पार्टियों को इस अवधि के दौरान जमीनें आवंटित की गई थीं, उन्हें साल 2000 से पहले की संस्थागत दरों पर ही जमीन मिली थी। मध्य दिल्ली, जहां राजनीतिक दलों को जमीन आवंटित की गई थी, यहां जमीनों का बाजार मूल्य बहुत अधिक है। रियल एस्टेट क्षेत्र के जानकारों की मानें तो दीन दयाल उपाध्याय मार्ग – जहां भाजपा को अपना राष्ट्रीय मुख्यालय स्थापित करने के लिए अगस्त 2014 में 1,864 लाख रुपये प्रति एकड़ की संस्थागत दर पर दो एकड़ (8,095.80 वर्ग मीटर) का एक भूखंड आवंटित किया गया था। एक एकड़ भूमि के लिए वर्तमान बाजार दर 200 करोड़ रुपये से अधिक का रेट चल रहा है।