ग्राम स्वराज रैली

रायपुर। प्रदेश भर से राजधानी पहुंचे हजारों आदिवासियों ने महासम्मेलन का आयोजन करने के बाद रैली निकाली और सरकार को ज्ञापन सौंपा।

आदिवासियों के डेढ़ दर्जन से ज्यादा सामाजिक संगठनों की अगुवाई में यह रैली निकली। इससे पूर्व टिकरापारा के गोंडवाना भवन में प्रदेश भर से आये आदिवासी समाज के लोग एकत्र हुए। यहां ग्राम सभाओं का महासम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमे वक्ताओं ने आदिवासियों के अधिकारों का सरकारों द्वारा किये जा रहे हनन का विरोध किया।

आदिवासियों ने एक पर्चा जारी कर अपने रायपुर आने की वजह बताई, जिसके अनुसार अबूझमाड़ क्षेत्र में आदिवासियों को जबरन विस्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस पर्चे में दावा किया गया है कि सरकार ने बेरहबेड़ा, कचेपाल, मोंहदी, गरपा और कई जगहों पर पुलिस कैंप के लिए सैकड़ों एकड़ ज़मीन ले ली है। इस ज़मीन पर पेड़ों की कटाई भी कर दी गई है। यह सब पेसा का उल्लंघन करते हुए बिना ग्रामसभा की अनुमति के किया गया है। इस पर्चे में कहा गया है कि अबूझमाड़ के इलाक़े में स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में कई गांवों में असमय मौतें हो रही हैं। इसके अलावा बिना ग्राम सभा से सहमति लिए खनन का काम भी हो रहा है। रैली में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, सर्व आदिवासी समाज, हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन और कई और संगठन शामिल हुए। आज की रैली में हसदेव में जबरदस्ती पेड़ कटाई और आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं को परेशान करने का मामला भी उठाया गया।

सौंपा गया 3 सूत्रीय ज्ञापन

स्वराज रैली के बाद प्रशासन को राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम 3 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया। इसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 8 अगस्त, 2022 को अधिसूचित पेसा नियम, 2022 को पेसा कानून 1996 का घोर उलंघन बताते हुए इसे ख़ारिज करके संविधान एवं पेसा सम्मत कानून एवं नियम बनाने की मांग की गई है। इसी तरह 28 जून 2022 को केंद्र सरकार द्वारा जारी वन (सरंक्षण) अधिनियम, 1980 के नियम में संशोधन को रद्द करने और छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी समुदाय को शैक्षणिक एवं नियुक्तियों में जनसंख्या के अनुरूप 32% आरक्षण देने की मांग की गई है।

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