रेडी टू ईट

0 शमी इमाम
कोरबा। महिला समूहों के बाद अब एग्रो फूड कार्पोरेशन को रेडी टू ईट के निर्माण का काम दिए जाने के बावजूद इसकी अफरा-तफरी को रोका नहीं जा सका है। बलरामपुर जिले के बाद कोरबा जिले में यह पौष्टिक आहार गोकुल नगर के एक तबेले में खपाते हुए पकड़ लिया गया, जिसके बाद पुलिस ने यह मामला महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंप दिया। हालांकि जांच में पूरी तरह लीपापोती करने की जानकारी सामने आ रही है।

रेडी टू ईट को साफ़-सुथरे तरीके से उत्पादन करके महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरण करने का जिम्मा महिला समूहों से वापस लेकर राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की उत्पादनकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड को दिया जा चुका है, मगर इस फर्म की लापरवाही कहें या गड़बड़ी, जिलों में रेडी टू ईट की अफरा-तफरी रुक नहीं रही है। शासन की कुपोषण नियंत्रण की महत्वाकांक्षी योजना रेडी टू ईट वितरण को लेकर बड़ी अनियमितता सामने आई है। हितग्राहियों को बंटने वाला रेडी टू ईट शासन द्वारा बसाये गए गोकुल नगर में खपाते पकड़ लिया गया। बता दें कि कोरबा शहर में जगह-जगह गाय-भैंस पालकर दुग्ध का व्यवसाय करने वालों गोकुल नगर में बसाया गया है, और यहां इसी व्यवसाय से जुड़े लोग ही रहते हैं।

रामपुर चौकी प्रभारी कृष्णा साहू ने TRP न्यूज़ को बताया कि शासकीय पोषण आहार की अफरा तफरी की मुखबिर से सूचना मिलते ही उन्होंने अपनी टीम के साथ गोकुल नगर में दबिश दी। जहां एक मकान के सामने खड़ी पिकप वाहन से बोरों को उतारा जा रहा था। पुलिस को देखते ही वाहन का चालक भाग खड़ा हुआ। इस दौरान पूछताछ से पता चला कि पैक बोरों में रेडी टू ईट के पैकेट भरे हुए हैं। इनमे से 28 बोरी रेडी टू ईट को मकान में उतारा जा चुका था, वहीं 132 बोरी वाहन में ही रखा हुआ था। उतारे गए बोरे जिस कमरे में रखे गए थे, पुलिस ने उसे सील कर दिया और वाहन को जब्त कर थाने में ले आयी।

दुग्ध का व्यवसाय करता है परिवार

गोकुलनगर के जिस मकान में रेडी टू ईट खपाया जा रहा था, वह सरस्वती नामक महिला का है जिसके बेटे को केस्टो के नाम से जाना जाता है। ये परिवार पशुपालन कर दूध बेचने का काम करता है। बताया जा रहा है कि पूर्व में यहां रहने वाला एक अन्य शख्स रेडी टू ईट मंगाकर खुद के जानवरों को खिलाता था और दूसरे पशुपालकों को भी बेचा करता था। वर्तमान में उसने अपने जानवरों को बेच दिया, तब सरस्वती ने सीधे रेडी टू ईट मंगाना शुरू कर दिया। यह बात उस शख्स को नागवार गुजरी और उसने रेडी टू ईट खपाने पहुंचे वाहन की सूचना पुलिस को दे दी। इस तरह बच्चों का पोषक आहार तबेलों में खपाये जाने की बात उजागर हो गई।

मामले की जांच में किया गया विलंब

कोरबा की रामपुर पुलिस ने रेडी टू ईट की अफरा-तफरी 5 अक्टूबर को पकड़ी। पुलिस ने महिला एवं बाल विकास विभाग को इस मामले की लिखित जानकारी 7 अक्टूबर को दी। वहीं विभाग के DPO ने मामले की “तत्काल” जांच करने का आदेश 10 अक्टूबर को दिया। कितनी हास्यास्पद बात है, जो 5 तारीख को पकड़ी गयी, इस अफरातफरी की विभागीय जांच का आदेश पूरे 5 दिन बाद दिया गया, जबकि अन्य श्रोतों से पूरे विभाग को इसकी जानकारी पहले ही मिल चुकी थी।

रेडी टू ईट सप्लायर की भूमिका संदिग्ध

राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की उत्पादनकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा रेडी टू ईट का वितरण करने के लिए कर्मचारियों को काम पर रखा गया है। कोरबा ग्रामीण इलाके में फर्म ने वितरण का काम किसी लालाराम को दे रखा है। लालाराम ने अपने बयान में बताया कि रेडी टू ईट का स्टॉक ग्राम जिल्गा में रखा गया है, जहां से वह माल भरकर दोंदरो सेक्टर स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुँचाने जा रहा था। अपनी सफाई में लालाराम का कहना है कि सरस्वती देवी का लड़का उसका मित्र है, जिससे उसने पैसा उधार लिया था, जिसे चुकाने जाते वक्त वह कुछ समय गोकुलनगर में रुका था। इस बीच उसके मालिक का फोन आया और उसे तत्काल आने की बात कही गई। आनन-फानन में वह 28 बोरी रेडी टू ईट अपने दोस्त केयहां डम्प कर आकर बाद ले जाने की बात कहकर जा रहा था। इस दौरान पुलिस ने वाहन को पकड़ लिया। लोगों को लालाराम यह बात पच नहीं रही है मगर यह पता चला है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के जांच अधिकारी सीडीपीओ ने जांच कर प्रतिवेदन सौंप दिया है, जिसमें फर्म के वितरणकर्ता की मनगढंत कहानी पर यकीन कर कार्रवाई की बजाय क्लीनचिट दे दी गई है।

मवेशी खा रहे हैं पौष्टिक आहार..!

रेडी टू ईट की अफरा-तफरी को लेकर छत्तीसगढ़ में जो बात सामने आ रही है, वह काफी गंभीर है। इस बात का खुलासा हो गया है कि यहां बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के लिए बंटने वाला रेडी टू ईट भैंस खटालों में खपाया जा रहा है। पशुओं के व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए यह नई बात नहीं है। ऐसे ही कुछ लोगों ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बंटने वाले रेडी टू ईट में कटौती करके ऐसे ही पशु पालकों को बेच दिया जाता है। यह काम काफी समय से चल रहा है और इसमें आंगनबाड़ी केंद्र से जुडी कार्यकर्ताओं के अलावा इलाके के जन-प्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

तो कुपोषण का आंकड़ा और घटता…

राज्यसरकार का दावा है कि प्रदेश में कुपोषण का आंकड़ा घट रहा है। सोचने वाली बात यह है कि अगर तबेलों में खपाया जा रहा रेडी टू ईट सही तरीके से जरूरतमंदों तक पहुंचता तो संभव है कि प्रदेश में कुपोषण और भी तेजी से घटता। मगर इसके लिए जिम्मेदार विभाग और जन-प्रतिनिधियों को इसकी कितनी चिंता है, यह सामने नजर आ रहा है।

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