जिंदल

रायपुर। जिले के ग्राम पूंजीपथरा में जिंदल स्टील प्लांट द्वारा स्थापित ओपी जिंदल पार्क को जरुरत के मुताबिक बिजली नहीं दिए से यहां के अनेक उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। रायगढ़ इस्पात उद्योग संघ ने जिंदल प्रबंधन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इससे हजारों लोगों के होने का खतरा जताया है।

इस मुद्दे को लेकर आयोजित पत्रकार वार्ता में संघ के संरक्षक राकेश अग्रवाल और सचिव योगेश अग्रवाल ने बताया कि रायगढ़ इस्पात उद्योग संघ और जिंदल प्रबंधन के बीच उद्योगों को बिजली आपूर्ति करने का करार है, लेकिन जिंदल प्रबंधन हमें मार्च के महीने से बिजली की नियमित और पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर रहा है। इसके कारण संघ के 40 में से 35 उद्योगों में तालाबंदी की नौबत आ चुकी है। हमारे उद्योगों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार परिवार जुड़े हैं। अगर ये उद्योग बन्द होते हैं तो सभी के समक्ष भूखों मरने की नौबत आ जाएगी।

बिजली को लेकर चल रही लड़ाई

योगेश अग्रवाल ने बताया कि उद्योगों और जिंदल प्रबंधन के बीच बीते सात महीने से बिजली की पर्याप्त आपूर्ति नही होने के कारण लड़ाई चल रही है। उनकी लड़ाई हाई कोर्ट से लेकर छःग राज्य विद्युत नियामक आयोग होते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंच चुकी है। इसके बावजूद हमे आज तक न्याय नहीं मिला है। अब इन उद्योगों पर तालाबंदी की नौबत आ गई है। क्या जिंदल समूह को स्थानीय उद्योगपतियों की समस्या नहीं दिख रही है? हमने अपना उद्योग स्व ओपी जिंदलजी की प्रेरणा और प्रोत्साहन के बाद स्थापित किया था। पर आज जिंदल प्रबंधन हमारे साथ अन्याय पर उतारू है। हमे हमारे हक की बिजली नही देकर इसे महंगे दामो में अन्य प्रांतों को बेचा जा रहा है। कुल मिलाकर हमें बर्बाद करने की जिंदल प्रबन्धन ने ठान ली है।हमारे साथ अन्याय का यह सिलसिला 5 मार्च 2022 से चल रहा है।

आयोग में दी झूठी जानकारी

रायगढ़ इस्पात उद्योग संघ का आरोप है कि जिंदल प्रबंधन जरुरत के मुताबिक बिजली की आपूर्ति उद्योगपतियों को नहीं कर रहा है। उन्होंने जब इस संबंध में नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया तो जिंदल ने वहां झूठी जानकारी दे दी कि वह हमे पर्याप्त बिजली दे रहा है, बल्कि उद्योगों द्वारा बिजली का उपयोग नहीं किया जा रहा है। हकीकत यह है कि हमे 18% से 25 % बिजली दी जा रही थी। वर्तमान में जिंदल प्रबंधन हमें 50 से 60 फीसदी बिजली दे रहा है। रायगढ़ के 40 में से करीब 35 उद्योगपति इससे प्रभावित हैं। इन उद्योगों से करीब 10,000 परिवार जुड़े हुए हैं जो लगातार आर्थिक संकट में घिरे हुए हैं। इस संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग में भी उद्योगपतियों ने याचिका दायर की है। इसकी सुनवाई भी हो चुकी है। उसके बावजूद जिंदल समूह मानने को तैयार नहीं है ।उल्टे जिंदल समूह की ओर से यह हवाला दिया जा रहा है कि उद्योगपति ही बिजली का पूर्ण उपयोग नहीं कर रहे हैं

दो दशक पूर्व स्थापित हुआ जिंदल औद्योगिक पार्क

पत्रका वार्ता में जानकारी दी गई कि रायगढ़ जिले में 2003 में स्थापित ओपी जिंदल औद्योगिक पार्क में जिले के व्यापारियों ने उद्योग स्थापित किया। स्थानीय उद्योगपतियों द्वारा स्थानीय लोगों की आजीविका के लिए यह बेहतर कदम था, लेकिन जिंदल प्रबंधन द्वारा हर बार बिजली की दरों को लेकर उद्योग संघ को परेशान किया जा रहा है। बिजली की दर बढाने का अधिकार नियामक बोर्ड का है लेकिन जिंदल प्रबंधन मनमानी करते हुए दर को बढ़ा कर अप्रैल 2022 से अधिक की बिलिंग कर रहा है। रेट तय करने के लिए जिंदल नियामक के पास सही जानकरी नहीं दे रहा है जिससे बिजली की दर तय हो सके। यह जान-बूझकर हमें परेशान करने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। बिजली की लगातार आपूर्ति नहीं होने से मशीनें खराब हो रही हैं और उत्पादन लागत बढ़ गई है जिसकी वजह से बाजार में टिके रहना मुश्किल हो रहा है। जिससे यहां कार्य करने वाले करीब 10,000 लोगो के समक्ष कभी भी रोजी रोटी का संकट खड़ा हो सकता है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो हमे तालाबंदी और आत्महत्या करने के अलावा कोई रास्ता नही बचेगा, क्योंकि सभी उद्योगों के ऊपर बैंक का कर्जा भी है।

संघ ने शासन और प्रशासन से मांग की है कि वे इस मामले में दखल दें, ताकि कोई रास्ता निकल सके, नही तो राज्य शासन हमे cspdcl (जो कि समानांतर लाइसेंसी है ) से नियमित बिजली आपूर्ति कर राहत प्रदान करे, ताकि हम भी नियमित रूप से अपने उद्योगों को संचालित कर सकें।

जिंदल का पर्याप्त बिजली देने का दावा

उद्योग संघ के आरोपों के सन्दर्भ में जिंदल उद्योग के प्रेसिडेंट प्रदीप टंडन ने अपना पक्ष रखते हुए TRP न्यूज़ को बताया कि जिंदल औसतन 180 मेगा वाट बिजली नियमित रूप से पूंजीपथरा औद्यौगिक पार्क में प्रदाय कर रहा है जिसका ब्योरा विद्युत् नियामक आयोग को भी दिया गया है। पूर्व में उच्च न्यायालय ने सभी उद्योगों को 60 से 80% विधुत प्रदाय करने के आदेश दिए थे, जिसके अनुसार उद्योगों को उनके द्वारा दिए गए schedule के मुताबिक बिजली प्रदाय की जा रही है।

प्रदीप टंडन ने कहा कि बिजली की दर विद्युत् नियामक आयोग द्वारा तय की जाती है, और उसके अनुसार ही डिस्ट्रिब्यूशन लायसेन्सी अपने उपभोक्ताओं को विद्युत् प्रदाय करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि औद्यौगिक पार्क के उद्योगपति कम दर पर बिजली चाहते हैं, जो कि फ़िलहाल संभव नहीं है। जो दर पहले तय हुई है उसी के मुताबिक बिल की वसूली की जा रही है।

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