सभी नागरिकों को 15 जुलाई से निःशुल्क प्रिकॉशन डोज
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दुनिया भर में तबाही मचाने के बाद कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने कोरोना वैक्सीन खोज निकाली और देश भर में टीकाकरण अभियान चलाया गया। इस बीच वैक्सीन के दो टीके लगाए गए जिससे लाखों लोगों की जान बच गई। दो टीके लगने के बाद अब बूस्टर डोज की आवश्यकता है लेकिन बूस्टर डोज के प्रति लोगों का रूझान कम हो गया है। कोरोना वैक्सीन की मांग में कमी आने से सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने कोविशील्ड टीके का उत्पादन बंद कर दिया है।

सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने बताया कि इस समय उपलब्ध कुल भंडार में से लगभग दस करोड़ खुराक के इस्तेमाल की अवधि समाप्त हो चुकी है। पुणे में विकासशील देश टीका निर्माता नेटवर्क (डीसीवीएमएन) की सालाना आम बैठक से इतर संवाददाताओं से बातचीत में पूनावाला ने कहा कि एहतियाती खुराक की कोई मांग नहीं है, क्योंकि लोग महामारी से तंग आ चुके हैं और उनमें टीकाकरण को लेकर उदासीनता आ गई है।


कोविशील्ड टीके से जुड़ी अद्यतन जानकारी के बारे में पूछे जाने पर पूनावाला ने कहा, दिसंबर 2021 से हमने उत्पादन (कोविशील्ड का) बंद कर दिया। हमारे पास उस समय करोड़ों टीकों का भंडार था, जिनमें से दस करोड़ खुराक के इस्तेमाल की अवधि समाप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि एसआइआइ के टीकों की मिश्रित खुराक लगाने की अनुमति है। पूनावाला ने कहा, अब कोवोवैक्स को अगले दो हफ्तों में मंजूरी दी जा सकती है। ऐसे में मुझे लगता है कि वे संभवत: एहतियाती टीकों की मिश्रित खुराक लगाने की इजाजत दे देंगे और उन्हें ऐसा करना भी चाहिए।


अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन इसकी मंजूरी देता है तो संभवत: भारतीय नियामक भी अनुमति प्रदान कर देगा और उसे ऐसा करना भी चाहिए। उन्होंने कहा, हालांकि, मौजूदा समय में एहतियाती खुराक की कोई मांग नहीं है। आमतौर पर एहतियाती खुराकों को लेकर उदासीनता है। लोग कोविड-19 और टीकों से तंग आ चुके हैं। ईमानदारी से कहूं तो मैं भी इससे तंग आ चुका हूं। हम सब तंग आ चुके हैं।