नया रायपुर
आदि ट्राइबल फाउंडेशन द्वारा कलिंगा विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित ग्लोबल ट्राइबल क्वीन कॉन्टेस्ट 2022 के दौरान कलिंगा विश्वविद्यालय की छात्रा सावित्री टुडू को आदि रानी 2022 की तीसरी उपविजेता के रूप में ताज पहनाया गया। प्रतियोगिता के विजेता के रूप में झारखंड की पूजा लकड़ा को ताज पहनाया गया। वह उरांव जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। बोंडा जनजाति, ओडिशा से सस्मिता नाग को फर्स्ट रनर अप के रूप में ताज पहनाया गया। कालबेलिया जनजाति की रूपा सपेरा को राजस्थान की दूसरी रनर अप के रूप में ताज पहनाया गया। कलिंगा ट्राइबल क्वीन 2018 की विजेता, पल्लवी धुरुआ और राजस्थान की पद्म श्री इंडियन डांसर गुलाबो सपेरा विजेताओं को ताज पहनाने के लिए विशेष रूप से मौजूद थीं।


कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य की माननीय राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके जी ने साइंस कॉलेज परिसर में स्थित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में हुआ। उन्होंने आदिवासी छात्रों की प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने हेतु कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आदि ट्राइबल फाउंडेशन और कलिंगा विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उद्घाटन समारोह के दौरान कलिंगा विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय आदिवासी छात्र आकर्षण के केंद्र रहे। राज्यपाल सुश्री उइके द्वारा आदिवासी छात्रों को सम्मानित किया गया और उनके बेहतर भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया गया।


आयोजन के दौरान मौजूद आयोजन समिति के कोर टीम के सदस्य थे डॉ चिदात्मिका कटुआ, श्री दिलीप मोहंती, डॉ रजनीकांत मिश्रा, डॉ श्राबनी पटनायक, मेजर डॉ कल्पना दास, श्रीमती जाहीदा अहमद, श्रीमती पुनम पाठक, श्रीमती सुभाश्री भांजा, श्रीमती निशा सोनी सतपथी, श्रीमती बंदना पात्रो, डॉ रचना सिंह, श्रीमती सुभद्रा प्रधान, सुश्री दिब्या रोशनी दास, सुश्री प्रियंका प्रजापति, सुश्री प्रकाश परिदा, सुश्री सुष्मिता नायक और सुश्री लक्ष्मी नायक।


चार दिवसीय राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान कलिंगा विश्वविद्यालय से रजिस्ट्रार डॉ संदीप गांधी, डीन छात्र कल्याण डॉ आशा अंभईकर, फैशन डिजाइनिंग की सहायक प्रोफेसर डॉ स्मिता प्रेमानंद, डॉ कोमल गुप्ता, सहायक प्रोफेसर वाणिज्य एवं प्रबंधन, खेल निदेशक डॉ संजीव यादव, सहायक प्रोफेसर श्री शेख अब्दुल कादिर और अन्य संकाय उपस्थित थे।


कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर श्रीधर चर्चा के पैनल के सदस्य थे। सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल राउंड के लिए जूरी सदस्य कलिंगा विश्वविद्यालय से डीन छात्र कल्याण डॉ आशा अंभईकर, श्रीमती ज़हीदा अहमद, डॉ रचना सिंह, श्रीमती गीतांजलि दास, श्रीमती सुभद्रा प्रधान, श्रीमती उषा विश्वकर्मा और श्री अजीत बैन थे।
राष्ट्रीय प्रतिभागियों की कुल संख्या 28 थी, जिनमें से 11 प्रतिभागी कलिंगा विश्वविद्यालय से थे। प्रतिभागियों में झारखंड की ओरांव जनजाति की कांति बारी, झारखंड की मुंडा जनजाति की कांति मुंडा, ओडिशा की बोंडा जनजाति की सस्मिता नाग, असम की कार्बी जनजाति की लिर्बन तेरांगपी, मध्य प्रदेश की आदिवासी डिल्ला की मनीषा बगोले, थारा जनजाति की रश्मी सिदार शामिल थीं।

छत्तीसगढ़, झारखंड की ओरांव जनजाति की पूजा लकड़ा, झारखंड की ओरांव जनजाति की सलोनी टिकरे, झारखंड की मुंडा जनजाति की सरस्वती नाग, छत्तीसगढ़ की गौड़ जनजाति की आरती कुंजन, बसाबा गुजरात की सीमा भगत, कालबेलिया राजस्थान की हेमा रघु देहला, कालबेलिया जनजाति राजस्थान की रूपा सपेरा, नागपुरी जनजाति की के पाओन मणिपुर की, ओरांव जनजाति की प्रीति बाला थीं। झारखंड, गोंड जनजाति छत्तीसगढ़ की पार्वती कोर्रम और जाट जनजाति की सुमन देवी हरियाणा की रहने वाली थीं।


कलिंगा विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय छात्रों ने किया, संथाली जनजाति की सावित्री टुडू को तीसरा उपविजेता घोषित किया गया, इसके अलावा उनके अन्य प्रतिभागियों में गोंड जनजाति मध्य प्रदेश की कल्पना नेताम, छत्तीसगढ़ की उरांव जनजाति की काजल उरांव, उरांव जनजाति छत्तीसगढ़ की निधि प्रज्ञा शामिल थीं। हलबा जनजाति छत्तीसगढ़ की काजोल देव, गोंड जनजाति ओडिशा की दुर्गा कुंजाम, टोडा जनजाति तमिलनाडु की प्रीति धनखड़, गड़ा जनजाति छत्तीसगढ़ की नेहा चौहान, बत्रा जनजाति छत्तीसगढ़ की विंदेश्वरी कश्यप, गोंड जनजाति छत्तीसगढ़ की वंदना और गोंड जनजाति छत्तीसगढ़ की महिमा भास्कर थी।