धान खरीदी प्रभावित

रायपुर। एक नवंबर से शुरू हो रही धान खरीदी की प्रक्रिया में इस बार भी व्यवधान पड़ने की आशंका है। पूरे प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से किसानो से धान की खरीदी होती है, और कई जिलों में समितियों से जुड़े कर्मचारियों ने खुद को धान खरीदी की प्रक्रिया से अलग रखने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में सरकार के पास कोई भी दूसरा अमला नहीं है, जिसके माध्यम से धान की खरीदी कराई जा सके।

ऑपरटरों के बाद प्रबंधक भी हुए बागी

प्रदेश के कई ऐसे जिले हैं, जहां सहकारी समितियों से जुड़े कंप्यूटर ऑपरटरों, प्रबंधकों और अन्य कर्मियों ने धान खरीदी का कार्य नहीं करने की घोषणा कर दी है। विभिन्न मांगों को लेकर अधिकांश जिलों में कर्मचारियों ने हड़ताल का रास्ता अख्तियार कर लिया है। इनमें पूरा सरगुजा, रायगढ़, बस्तर और राजनांदगांव जैसे जिले शामिल हैं। इस बीच महासमुंद और गरियाबंद से खबर आ रही है कि वहां अधिकारियों द्वारा मांगें पूरी करने के आश्वासन पर सहकारी कर्मियों ने काम शुरू कर दिया है।

राजनांदगांव से यह खबर आ रही है कि वहां सोसाइटी के ऑपरटरों के बाद प्रबंधकों ने भी धान खरीदी से खुद को अलग कर लिया है। यहां आपरेटरों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर खरीदी प्रक्रिया में सहयोग करने से इन्कार कर दिया है। इसके पीछे उन्हें कम्प्यूटर संबंधित तकनीकी ज्ञान का होना भी वजह है। आपरेटरों का मानना है कि खरीदी के लिए उन्हें अधिक जानकारी नहीं है। ऐसे में सोसाइटी प्रभारियों को ही इसका जिम्मा दिया जाना चाहिए।

इधर सोसाइटी प्रभारियों ने धान खरीदी करने की प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया है। यहां प्रशासन ने अब डाटा एंट्री आपरेटर, बैंक मैनेजरों और सुपरवाईजरों को खरीदी केंद्र का प्रभारी बनाने का निर्णय लिया है, जिसका विरोध शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि जिला सहकारी बैंक के जरिये राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के 149 केंद्रों में खरीदी होगी। आपरेटरों ने आज कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी पीड़ा बताई है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि धान की सूखत होना स्वभाविक है, जिसकी भरपाई खरीदी प्रभारी को करनी होती है। उनकी मांग है कि धान खरीदी के लिए प्रशासनिक अनुभव नहीं होने से वह बेहतर तरीके से काम नहीं कर पाएंगे। आपरेटरों ने यह भी कहा कि समिति में अकेले धान खरीदी करना संभव नहीं है, क्योंकि धान की जांच, बारदाना वितरण, परिवहन, आवक-जावक समेत अन्य व्यवस्था पर भी ध्यान देना पड़ता है। इस स्थिति में कम्प्यूटर आपरेटर काम करने के लिए सक्षम नहीं होंगे। बहरहाल केंद्रों में धान खरीदी की तैयारी की गई है। प्रशासन के सामने नाराज समिति प्रभारियों को कार्य करने के लिए राजी करना एक चुनौती है। कल से शुरू हो रही धान खरीदी के पहले दिन अव्यवस्था के आसार दिख रहे हैं।

उधर कोरबा और सूरजपुर जैसे जिलों में सहकारी कर्मी धान खरीदी की प्रक्रिया में लगे हुए हैं। वहीं अन्य जिलों के हालात को लेकर हमने विशेष सहकारिता IAS हिमशिखर गुप्ता से दूरभाष पर जानना चाहा, तब उन्होंने यह कहते हुए फोन काट दिया कि वे अभी छुट्टी पर हैं, उन्होंने यह भी नहीं बताया कि अभी उनका प्रभार कौन देख रहे हैं। बहरहाल कई जिलों से यह जानकारी आ रही है कि सहकारी कर्मचारी फ़िलहाल अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं, मगर अधिकारी मांगें पूरी करने का आश्वासन देते हुए उन्हें काम पर लग जाने के लिए तैयार कर रहे हैं। अब तो यह कल ही पता लग सकेगा कि पूरे प्रदेश में धान खरीदी की क्या स्थिति है।