मस्तूरी। मल्हार चौकी क्षेत्र के ग्राम जुनवानी में बैगा ने एक युवक की जान ले ली। बताया जा रहा है कि युवक की कुछ महीनों से तबियत खराब थी, जिसे परिजन इलाज के लिए बैगा के पास लेकर पहुंचे थे। बैगा युवक को 4 दिन तक अपने घर पर रखकर गर्म नांगर पट्टी और त्रिशूल से उसके शरीर पर दागता रहा, बाद में उसकी मौत हो गई। पुलिस आरोपी बैगा को गिरफ्तार कर लिया है।

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब ग्राम पोंडी थाना रतनपुर जिला बिलासपुर की 35 वर्षीय गंगा बाई निर्मलकर ने थाना रतनपुर में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके पति फेकूराम निर्मलकर उम्र 35 वर्ष की तबियत खराब होने से वो उसे 23 अक्टूबर को ग्राम जुनवानी में रहने वाले बैगा लीलाराम रजक के पास ले गई। झाड़फूंक के दौरान बैगा लीलाराम रजक के हाथ-पैर को रस्सी से बांधकर नांगर पट्टी और त्रिशूल आग में गरम कर उसे जलाता रहा। 4 दिनों तक वह युवक को दागता रहा मगर उसकी हालत में कोई भी सुधार नहीं हुआ।

भूत भगाने का किया था दावा

गंगा बाई ने बताया कि 4 महीनों से पति की हालत ख़राब थी। इस दौरान उसके रिश्ते के मामा लीला रजक ने दावा किया कि फेकूराम के ऊपर प्रेत बाधा है, और उसे भूत सवार है। वह भूत भगाने के लिए झाड़-फूंक करता है। लीला रजक ने झाड़-फूंक से फेकूराम को ठीक करने का दावा किया।

बैगा ने बहाने से भेज दिया वापस

चार दिनों तक अपने घर पर झाड़फूंक के नाम पर लीला रजक युवक के शरीर को दागता रहा इसके बाद बैगा ने पीड़ितों को बताया कि 27 अक्टूबर तक उसके स्वास्थ्य में सुधार होने का दावा करते हुए इन्हें घर वापस भेज दिया। घर पहुंचने के बाद बीमार युवक उसी हालत में 4 दिन तक पड़ा रहा और 30 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई।

डॉक्टर ने इन्फेक्शन को बताया मौत की वजह

गंगा बाई निर्मलकर द्वारा अपने पति फेकूराम की मौत की सूचना के बाद पुलिस ने उसके शव का पोस्टमार्टम कराया। अपनी रिपोर्ट में डॉक्टर ने पुलिस को बताया कि जलने से शरीर में हुए इंफेक्शन से उसकी मौत हुई है।

बैगा के खिलाफ हत्या का जुर्म दर्ज

चूंकि यह मामला मस्तूरी थाना क्षेत्र का था, इसलिए रतनपुर पुलिस ने मर्ग डायरी मस्तूरी भेज दी जहां मामले की जांच और गवाहों के बयान के बाद कथित बैगा लीला रजक को धारा 302 के तहत गिरफ्तार कर लिया।

फेकूराम निर्मलकर की मौत के इस मामले ने छत्तीसगढ़ में व्याप्त अंधविश्वास को लेकर एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। सरकार और स्वयंसेवी संगठनों द्वारा लोगों को जागरूक करने के तमाम प्रयासों के बावजूद आज भी लोगों के बीच अंधविश्वास की जड़ें काफी गहरी हैं। ऐसे मामलों में कठोरता से कार्रवाई करने की जरुरत है।

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