
टीआरपी डेस्क
विदित हो कि ED व आयकर छापे और गिरफ्तारियों के चलते खदानों से बिजली घरों को मिलने वाले कोयले की आपूर्ति बूरी तरह से प्रभावित हो रही है। हालात से निपटने के लिए बिजली कंपनी ने आनन-फानन में 03 लाख टन कोयले के परिवहन के लिए निविदा जारी कर दी है।
निविदा में शर्तें ऐसी रखी गई है कि छत्तीसगढ़ के लोग इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे। कोल परिवहन में लगे व्यापारी ठेकेदार और बड़े खनिज के मालिक इस समय दहशत में हैं। कई लोग भूमिगत हैं। राजनीतिक कनेक्शन खोजने के कारण कामकाज की गति धीमी हो गई है।

छत्तीसगढ़ की कोयला खदान रायगढ़ जिले की तमनार तहसील के गारेपालमा गांव में है। छापों और गिरफ्तारी के अंदेशे में डूबे ट्रांसपोर्टर भूमिगत हैं। नतीजन, वहां लाखों टन कोयला जाम पड़ा है। कोयले को मड़वा स्थित बिजलीघर पहुंचाने का काम ठप है। परिवहन को गति देने के लिए टेंडर तो निकाल दिया गया, मगर भारी भरकम शर्तों के कारण स्थानीय लोगों का दम फूल रहा है।
नियमों में निविदाकर्ता के पास 100 गाड़ियां होनी चाहिए व 400 गाड़ियां अटैच होनी चाहिए। उसे 2 साल में 40 कि.मी. दायरे में 15 लाख टन कोयला परिवहन करने का अनुभव होना चाहिए। जाहिर है, ये शर्तें बड़े कॉरपोरेट समूह ही पूरी कर पाएंगे। वही, SECL ने भी ई टेंडर निकाला हैं। कोयले की समस्या कम करने के लिए केंद्र सरकार पर लगातार दबाव के बाद SECL ने इस दिशा में भी बड़ा कदम उठाया है। यह टेंडर 05 वर्ष के लिए होगी। इसमें उद्योगपति भी शामिल हो सकते हैं।