आज-कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव लाइफ का हिस्सा बनता जा रहा है। हर उम्र के लोग स्ट्रेस और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। आज के समय में अधिकतर पेरेंट्स वर्किंग करते हैं, जिसकी वजह से बच्चे को पेरेंट्स का जो ​समय मिलना चाहिए, वो नहीं मिल पाता है। कई बार बच्चे अपनी परेशानी किसी को बता नहीं पाते हैं और धीरे—धीरे मानसिक तनाव का शिकार होने लगते हैं। इसलिए बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देने की आवश्यकता हैं। कई बार बच्चों में मानसिक बीमारी बढ़ती जाती है और बाद में वो गंभीर समस्या बन जाती है। इसलिए पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चे का मानसिक स्तर को समझने का प्रयास करें और जहां तक संभव हो, उनका सपोर्ट करें। तो आइए जानते हैं बच्चों को मानसिक बीमारी से बचाने के खास टिप्स और उपाय..

1.बच्चों पर एक्स्ट्रा एक्टिविटीज का प्रेशर न डालें

बच्चों में मानसिक तनाव कभी-कभी एक्स्ट्रा एक्टिविटीज का प्रेशर डालने के कारण भी हो सकता है। माता-पिता में बच्चों की परवरिश से जुड़ी एक आम धारणा बन गयी है कि बच्चा जितनी तरह की एक्सट्रा एक्टिविटीज मेंभाग लेगा, उसका भविष्य उतना ही अच्छा होगा। इसमें कोई गलत चीज़ नहीं है कि बच्चे को पढ़ाई के अलावा खेलों और अन्य एक्टिविटीज में भाग लेने को उत्साहित करने से उनके साइकोलॉजी में काफी बदलाव आता है। लेकिन, बच्चे के सैड्यूल में स्कूल, ट्यूशन और होमवर्क करने में ही उसका सारा समय निकल जाता है। इसके अलावा, एक्स्ट्रा एक्टिविटीज डाल दी जाती है, तो बच्चे को खुद के लिए भी समय नहीं मिल पाता है और कई बार उनकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती है।

2.मानसिक तनाव के कारणों को जानें

बहुत से माता-पिता अपने बच्चों में मानसिक तनाव को सही तरह से पहचान नहीं पाते हैं। अन्य लोगो को जब मानसिक तनाव होता है तो वे अपनी समझदारी से उसे नियंत्रित कर सकते हैं लेकिन, बच्चों में जब मानसिक तनाव आता है, तो वह रोने-चीखने लगते हैं। जमीन पर लेट-लेट कर जोर-जोर से पैर मारने लगते हैं। कई बार बच्चों में मानसिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि वे खुद को चोट पहुंचाने से भी नहीं डरते हैं। ऐसी स्थिति में आपको सबसे पहले अपने बच्चों के साथ दोस्त जैसा व्यवहार करने की आदत डालनी होगी। ताकि बच्चों में आपका भय नहीं, बल्कि आपके प्रति झुकाव हो कि आप उनकी समस्या से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। बच्चों को खुले मन से अपने विचार और भावों को व्यक्त करने दें।

3.मेंटल हेल्थ के लिए सही डायट चार्ट है जरूरी

जब खाने-पीने और नींद की रूटीन गड़बड़ा जाती है, ऐसे में शरीर का ‘शुगर’ लेवल कम हो जाता है, परिणामस्वरूप बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। अपनी बातों को व्यक्त करने के लिए वो अति-उत्साहित हो जाते हैं, धीरे-धीरे उन्हें अपनी भावनाओं को एक्सप्रेस करने के लिए गुस्सा और चिड़चिड़ापन का सहारा लेना पड़ता है। बच्चों में मानसिक तनाव को कम करने के लिए उसे पौष्टिक आहार खिलाएं।

4.टीवी, मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में उनके एक्सेस की निगरानी करें

आपको अपने बच्चों के टीवी और मोबाइल के एक्सेस पर कड़ी निगरानी रखनी होगी।बच्चा कब और क्या देख रहा है टीवी या मोबाइल पर इसका ध्यान आपको रखना होगा। सोशल मीडिया, समाचार व अन्य प्रसारण बच्चे के मन में तनाव पैदा कर सकते हैं। कुछ बच्चे हिंसक हो जाते हैं। तो वहीं कुछ कठोर भाषा का इस्तेमाल करने लगते हैं। टीवी और मोबाइल के साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए बच्चों को इसकी आदत ना लगने दें।

5.बच्चे से साथ समय बिताना भी है जरूरी

आज कल ज्यादातर पेरेंट्स वर्किंग वाले है जिस वजह से वे अपने बच्चों के लिए समय नहीं निकल पाते हैं। लेकिन अपने टाइमटेबल में बच्चों के लिए भी समय निर्धारित करें। उनके लिए एक कंफरटेबल एन्वायरोमेंट बनाएं जहां वे अपनी किसी भी परेशानी के बारे में चर्चा करने में संकोच न करें। बच्चे अपनी हर दुविधा के बारे में आपसे खुलकर बात करें। बच्चे की परेशानी को समझें और उसे दूर करने की कोशिश करें। अपने बच्चे के तनाव को दूर करने के लिए आपको समझदारी से कदम उठाना होगा।

6.घर का वातावरण अच्छा रखें

बच्चों में मानसिक तनाव न हो, इसके लिए आपको घर का वातावरण बेहतर बनाने की जरूरत है। ऐसा देखा जाता है कि बच्चों के मन पर घर के माहौल से भी बहुत प्रभाव पड़ता है। इस बात को घर के सदस्य और माता-पिता कभी-कभी हल्के में ले लेते हैं और यही बाद में बच्चों की परेशानी का कारण बन जाता है। घर के अंदर या बच्चों के समीप ऐसी कोई बात न करें, जिससे उन्हें आपके गुस्से में होने का आभास हो। पेरेंट्स को बच्चे के सामने अपने तनाव और एंग्जायटी पर कंट्रोल रखना चाहिए। पेरेंट्स अच्छे मूड में रहेंगे तभी वे बच्चों की परेशानी को अच्छी तरह से समझ पाएंगे।