भारत के इस गांव में चलता है अपना ही ‘कानून’, सियासी दल नहीं कर सकते प्रचार, वोट न डालने पर भरना पड़ता है जुर्माना

टीआरपी डेस्क। गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल पूरे जोश में हैं। सभी पार्टियों के प्रत्याशी पार्टी के समर्थन में सियासी मैदान में उतर पड़े हैं। इस बीच, गुजरात का एक गांव ऐसा भी है जहां सन्नाटा पसरा हुआ है।

यह गांव है राजकोट जिले के राज समधियाला गांव जहां राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार करने की परमिशन नहीं है। यह परंपरा गांव के लोगों ने ही शुरू की है। अगर गांव का कोई शख्स वोट नहीं करता है तो उसपर जुर्माना भी लगाया जाता है। जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर राज समधियाला गांव के बाहर एक नोटिस बोर्ड लगा है, जिसमें चुनाव प्रचार पर रोक समेत कई तरह के प्रतिबंध छपे हैं।

बगैर प्रचार के यहां होती है रिकॉर्ड वोटिंग

इस गांव में किसी भी पार्टी का नेता या उम्मीदवार ना तो रैली निकाल सकते हैं और न ही घर-घर जाकर वोट मांग सकते हैं। गांव में बगैर प्रचार के भी यहां रिकॉर्ड स्तर पर वोटिंग होती है। अगर इस गांव का कोई निवासी मतदान नहीं करता है तो उसपर 51 रुपए का जुर्माना भी लगाया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में 1983 से ही सियासी दलों के चुनाव प्रचार पर रोक लगी हुई है।

क्यों लगी है चुनाव प्रचार पर पाबंदी

चुनाव प्रचार पर पाबंदी लगाने के रिजन पर गांव के लोगों का मानना है कि राजनीतिक दलों के आने से गांव का माहौल खराब होता है। इसका असर गांव के लोगों पर पड़ता है। इस अनोखे नियम को यहां के एक पुराने सरपंच हरदेव सिंह ने बनाया था। उन्होंने इसे लेकर मुहिम भी चलाई थी जिसको गांव के लोगों का खूब समर्थन मिला।

यह गांव गुजरात के आदर्श गांवों में शामिल है। जहां इंटरनेट कनेक्शन, सीसीटीवी कैमरे, पानी के लिए आरओ प्लांट जैसी अत्याधुनिक सुविधा हैं। इस गांव की आबादी लगभग 1700 की है और लगभग 995 मतदाता हैं। यहां कोई भी अपने घर या दुकान में ताला नहीं लगाता है। यहां की दुकानों से लोग अपनी जरूरत का सामान ले जाते हैं और पैसे दुकान पर रख जाते हैं। इस गांव में चोरी नहीं होती है साथ ही गांव में गुटखा पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है।

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