रायपुर। प्रदेश के भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने कमाल कर दिखाया है। उन्होंने महाधमनी विच्छेदन (Aortic dissection) की गंभीर स्थिति में आए 60 वर्षीय मरीज को ट्रांस क्यूटेनियस एओर्टिक रिपेयर प्रोसीजर (TAVAR) के जरिए नया जीवन दिया है।

एसीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में जूनियर रेजिडेंट अनन्या दीवान एवं डॉ. गुरकीरत अरोरा ने आधी रात को गंभीर स्थिति में आए धमतरी के एक मरीज को न केवल सतत निगरानी और उपचार के ज़रिए ठीक किया। साथ ही ऐसे ही एक 55 वर्षीय अन्य मरीज की महाधमनी विच्छेदन के केस में जीवन को सुरक्षित बचा लिया।

एसीआई के रेसिडेंट डॉ. अनन्या दीवान के अनुसार पेशेंट हमारे पास चार-पांच दिन पहले एक निजी अस्पताल से रिफर होकर आया था। निजी अस्पताल में उसकी स्थिति बिगड़ गई थी, पेशाब जाना बंद हो गया था, ब्लड प्रेशर 200/140 हो गया। उसी स्थिति पर उन्होंने मरीज को कह दिया कि हम अब कुछ नहीं कर सकते आप मरीज को अंबेडकर अस्पताल ले जाइए।

निजी अस्पताल में मरीज को ऑपरेट करने के लिए प्लान कर लिए थे इसीलिए जब वह अंबेडकर अस्पताल पहुंचा तब उसके सारे इन्वेस्टिगेशन हो चुके थे। पेशेंट का एऑर्टा (महाधमनी) हार्ट के निकलने से कुछ दूर पहले ही फट गया था। उसके अंदर का एक फ्लैप फटकर बायीं जांघ के अंदर चला गया था। फ्लैप जब फटता है तो उसके अंदर का एक ल्यूमेन ( नलिकामय संरचना के अंदर की जगह जिसमें से क्रमशः रक्त और भोजन का प्रवाह होता) रहता है। परंतु उसके फटने के बाद बाहर की दीवार की ओर दूसरा ल्यूमेन बन जाता है जहां फट गया है वहां ब्लड भरता है और वह ब्लड ट्रू ल्यूमेन यानी वास्तविक ल्यूमेन को बंद कर देता है।

वास्तविक ल्यूमेन से ही किडनी की नसों, आंतों की नसों और पैरों की नसों तक रक्त का प्रवाह होता है और बंद होने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इस मरीज का ब्लड प्रेशर 200/150 पर पहुंच गया था। किडनी ने यूरिन बनाना बंद कर दिया था। पेशेंट 20 नवंबर की रात को अंबेडकर अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में पहुंचा वहां पर एसीआई के रेसिडेंट उसके बाद दोनों रेसिडेंट डॉक्टर ने ब्लड प्रेशर डाउन करने की दवा शुरू की।

धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर को नीचे लाया क्योंकि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के कारण नस का फटना और बढ़ जाता है। 200 के प्रेशर में नस का जो फ्लैप उखड़ा है उसको धीरे- धीरे प्रेशर ही फाड़ते जाता। उसके बाद दोनों डॉक्टर ने खूब मेहनत करके मरीज के ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया। दवाइयों की मदद से ब्लड प्रेशर 130/80 के करीब ला कर रखा । उसके बाद मरीज का यूरिन आने लगा।

मरीज की हालत को स्थिर करने के बाद आयुष्मान योजना के स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. श्रीकांत राजिमवाले की सहायता से इमरजेंसी में मरीज के इलाज के लिए लगभग 5 लाख रुपये की सहायता राशि स्वीकृत हुई।

महाधमनी विच्छेदन को इलाज के ज़रिए ठीक करने के दो तरीके होते हैं। पहला छाती को गले से लेकर जांघ तक खोलकर एऑर्टा को रिपेयर करना। वहां पर नया एऑर्टा लगाकर ग्राफ्ट लगाकर नया पाइप लगाना। दूसरा उपाय रहता है की पैर में जहां पर नस फटी है उस पैर में दूसरे पैर से एक तार डालकर एक कपड़े लगा हुआ स्टंट, जिसको कवर्ड स्टंट कहते हैं, उस कवर्ड स्टेंट से जो छेद है जहां पर रिसाव हुआ है और दीवार फटी है उसको प्लास्टर कर दें और उसे स्टंट से ब्लड सप्लाई चालू हो जाये। हमने इसी विधि से प्रोसीजर करने का निर्णय लिया।

मरीज के परिजनों ने भी इसी विधि से उपचार कराने के लिए सहमति दे दी। हमने मरीज को टेबल पर लिया। संयोगवश उसी दिन एक और महिला मरीज आ गयी लेकिन इस मरीज की छाती की एऑर्टा फटी थी। दोनों पेशेंट की फटी हुई महाधमनी को कवर स्टेंट से रिपेयर किया । इस विधि को तेवार (TAVAR/ ट्रांस क्यूटेनियस एओर्टिक रिपेयर) कहते हैं।

ऐसे हुआ प्रोसीजर

पैर की नस से एक पाइप डाला, कैथेटर डाला और उस कैथेटर के द्वारा स्टंट को उस जगह तक पहुंचाया जहां पर एऑर्टा फटी हुई थी। स्टंट को वहां पर फुलाया और स्टंट को छोड़ दिया तो जो फटी हुई दीवार थी वह स्टंट से दब गई और ब्लड का रिसाव बंद हो गया। पेशेंट का ब्लड प्रेशर टेबल पर ही नॉर्मल होना चालू हो गया। पेशेंट आज ठीक हो गए ।दोनों ने चलना प्रारंभ कर दिया । कल दोनों की अस्पताल से छुट्टी हो जाएगी।

उपचार प्रक्रिया में आने वाली चुनौती

डॉ. स्मित श्रीवास्तव आगे बताते हैं इस पूरी प्रक्रिया की सफलता का श्रेय दोनों रेजिडेंट डॉक्टर को जाता है जिनकी मदद से मरीज को स्टेबल किया। यदि मरीज स्टेबल नहीं होता तो प्रोसीजर नहीं कर पाते। ल्यूमेन को खोलना अपने आप में चुनौती भरा रहा। आपको चिन्हित करना रहता है कि मेन ल्यूमेन कौन सा है।

टीम में ये रहे शामिल

डॉ. स्मित श्रीवास्तव, डॉ. योगेश विशनदासानी के साथ एसीआई के रेसिडेंट डॉ. अनन्या दीवान, डॉ. गुरकीरत अरोरा, एनेस्थेटिस्ट डॉ.अमृता, सिस्टर इन चार्ज नीलिमा शर्मा, टेक्नीशियन आई. पी. वर्मा एवं खेम सिंह शामिल रहे।  

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